दो राज्यों में हाई अलर्ट, हो सकते हैं बड़े आईईडी धमाके, निशाने में सुरक्षाबल के जवान

IO_AdminUncategorized2 months ago36 Views

नई दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियान के तहत लगातार कार्रवाई हो रही है। नक्सल विरोधी अभियान के प्रमुख क्षेत्रों में आईईडी विस्फोट और हथियारों के बरामदी के बाद अलर्ट जारी किया गया है। यह अलर्ट छत्तीसगढ़ के साथ झारखंड के लिए भी जारी किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि आईईडी बरामद होने और विस्फोटों के मामलों में ऐसे समय में वृद्धि देखी गई है जब मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने के केंद्र सरकार के लक्ष्य को पूरा करने के लिए नक्सलियों के क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के अभियानों में तेजी आई है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सुरक्षा बल खासकर छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के सुदूर जिलों में नए शिविर स्थापित कर रहे हैं। माओवादी अब आमने-सामने की मुठभेड़ों में शामिल नहीं होते क्योंकि उनके पास हथियार एवं गोला-बारूद की कमी है इसलिए वे सैनिकों को मारने या उन्हें घायल करने के लिए आईईडी का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं।’’ आईईडी संबंधी घटनाओं के विश्लेषण के दौरान इनकी संख्या में काफी वृद्धि देखने को मिली है और इसलिए टीसीओसी अवधि करीब आने के बीच सुरक्षा बलों के लिए हाई अलर्ट जारी किया गया है।

गर्मियों के महीने में प्लानिंग करते हैं नक्सली

माओवादी गर्मियों के महीनों में सुरक्षा बलों के खिलाफ हमले करने के लिए सामरिक जवाबी आक्रामक अभियान (टीसीओसी) चलाते हैं, क्योंकि इस दौरान जंगल सूख जाते हैं और पेड़ों से पत्ते गिर जाते हैं जिससे सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर दूर तक नजर रखी जा सकती है। विश्लेषण रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-22 के दौरान नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के शिविर के तीन से सात किलोमीटर के दायरे में आईईडी लगाए थे लेकिन अब 2023-24 सीआरपीएफ या अन्य बलों के शिविरों के तीन किलोमीटर से भी कम के दायरे में इन्हें लगाया जा रहा है।

आईईडी धमाकों में वृद्धि

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020-2021 की तुलना में 2022-24 के दौरान इन घटनाओं में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एफओबी छोटी लेकिन सीआरपीएफ जवानों की मजबूत टुकड़ी होती है, जो नक्सलियों की आपूर्ति लाइन काटने का कार्य करती है। साथ ही प्रभावित इलाकों में न केवल अभियान चलाती है बल्कि स्थानीय लोगों से संवाद भी करती है।

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने पिछले सप्ताह छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से पांच किलोग्राम का प्रेशर कुकर आईईडी बरामद किए जाने के बाद नक्सल विरोधी अभियान ग्रिड विशेष रूप से चिंतित है। अधिकारियों ने बताया कि इस रिमोट कंट्रोल आईईडी में दो खाली बीयर की बोतलें लगाई गई थीं, ताकि सैनिकों को कांच के टुकड़ों से गंभीर चोटें पहुंचाई जा सकें। इसके साथ ही पास के एक पेड़ के नीचे एक छोटा एंटीना भी रखा गया था, जो तार से जुड़ा था और इसमें दूर से ही विस्फोट किया जा सकता था।

कई आईईडी हुए थे बरामद

उन्होंने बताया कि सीआरपीएफ के आईईडी रोधी दल ने इस आईईडी को निष्क्रिय कर दिया। सीआरपीएफ ने इस तरह का पहला आरसीआईईडी जनवरी में बीजापुर जिले में एक पुल के नीचे से बरामद किया था। यह जमीन के नीचे छिपाकर रखा गया 50 किलोग्राम का आरसीआईईडी था। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के ‘स्मार्ट आईईडी’ का इस्तेमाल बढ़ने की आशंका है।

क्या कहते हैं आंकड़े

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 में छत्तीसगढ़ में 78 बड़े आईईडी विस्फोट हुए और हथियार बरामद किए गए। इन विस्फोटों में आठ सुरक्षाकर्मी मारे गए। अधिकारियों ने कहा कि राज्य में आईईडी संबंधी ये घटनाएं मार्च के मध्य तक 100 को पार कर गई हैं जिससे ऐसे समय में नक्सलियों के बढ़ते खतरे का पता चलता है जब सुरक्षा बल मार्च 2026 की समय सीमा के बीच अभियान चला रहे हैं।

पवन तिवारी

लेखक के बारे में

पवन तिवारी

नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में सीनियर डिजिटल कॉन्टेंट प्रोड्यूसर हूं। 7 साल पहले पत्रकारिता की शुरुआत की। ईनाडु ग्रुप, दैनिक भास्कर, पत्रिका ग्रुप, एशियानेट न्यूज ग्रुप से होते हुए नवभारत टाइम्स ऑनलाइन तक पहुंचे हैं। चुनौतियां पसंद हैं। किताबें पढ़ने का शौक है। राजनीति और पॉजिटिव खबरों में रुचि है।… और पढ़ें

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