कानून का पालन सबको करना होगा, वक्फ बोर्ड पर UAE के मॉडल को मानें मुस्लिम, ग्लोबल इमाम काउंसिल के मेंब

IO_AdminUncategorized1 month ago32 Views

अबू धाबी: मुस्लिम संस्थानों की पारदर्शिता, सामाजिक सेवा और धार्मिक एकता की जब भी बात होती है तो अक्सर वक्फ़ बोर्ड पर बहस छिड़ जाती है। दुनिया भर के मुस्लिम देशों में इन बोर्डों की भूमिका अहम है, लेकिन उनके कामकाज की पारदर्शिता और उनका मकसद हमेशा सवालों के घेरे में रहे हैं। इसी बहस में अब एक नया बयान सामने आया है। ग्लोबल इमाम्स काउंसिल (GIC) के गवर्निंग मेंबर मोहम्मद तौहीदी ने कहा है कि ‘सभी लोगों को कानून का पालन करना चाहिए।’ तौहीदी ने भारत में वक्फ़ बोर्ड को लेकर चल रहे विवाद पर कहा है कि “मेरा मानना है कि वक्फ बोर्ड को इस्लाम, मुसलमानों, समाज और मानवता की सेवा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जैसा कि हमने UAE में किया है।”

उन्होंने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा कि “सबसे पहले, धार्मिक समुदाय कैसे काम कर सकते हैं? उनका काम समाज की सेवा करना होता है। इस पर सकारात्मक नजरिए के साथ कानून का पालन करना चाहिए। UAE में, वक्फ बोर्ड प्रोफेशनल संस्थाएं हैं और वे समाज में अपनी स्थिति में कानूनी हैं, उनका बहुत सम्मान किया जाता है, और, जाहिर है, वे देश के मुस्लिम धार्मिक ढांचे के भीतर विभिन्न भागों का प्रबंधन करते हैं। मेरा मानना है कि UAE में हमारे पास जो वक्फ बोर्ड हैं, वे मुस्लिम देशों में वक्फ बोर्ड और भारत जैसे देशों में मुस्लिम समाजों के लिए रोल मॉडल हैं।”

UAE को बताया मुस्लिम देशों के लिए ‘रोल मॉडल’
मोहम्मद तौहीदी ने कहा कि “UAE, अपने सभी क्षेत्रों और धार्मिक नजरिए के मामलों में, वास्तव में इस क्षेत्र में मुसलमानों के लिए एक रोल मॉडल रहा है… वक्फ बोर्ड केवल मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि मंदिरों, चर्चों और अन्य पूजा स्थलों के लिए भी है। वे सभी कानून के तहत गले लगाए गए और संरक्षित हैं, और सरकार द्वारा उनकी सेवा और देखभाल की जाती है। इसलिए यह एक बात है कि इस पर नजर रखी जाए, लेकिन कोई विशेष व्यवहार नहीं होना चाहिए। सभी को कानून का पालन करना होगा।” उन्होंने खास तौर पर कहा कि “UAE के मॉडल की सबसे बड़ी खूबी यह है, कि वहां किसी भी धर्म या समुदाय को विशेषाधिकार नहीं दिया जाता। सबको समान रूप से कानून का पालन करना होता है और सरकार सभी धार्मिक स्थलों की देखरेख जिम्मेदारी से करती है।”

तौहीदी का यह नजरिया सिर्फ प्रशासनिक या सामाजिक नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा के खिलाफ खड़े होने की कोशिश है। कई देशों में Waqf Boards कट्टरपंथियों के प्रभाव में आकर साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का हथियार बन चुके हैं। जबकि तौहीदी का कहना है कि वक्फ़ को एक प्रगतिशील, उदार और इंसानियत केंद्रित संस्था होना चाहिए और वक्फ़ को आखिर स्पेशल ट्रीटमेंट क्यों चाहिए? उन्होंने सवाल उठाते हुए पूछा कि ‘आपके लिए अलग से धार्मिक आधार पर कानून क्यों होना चाहिए?’

अभिजात शेखर आजाद

लेखक के बारे में

अभिजात शेखर आजाद

अभिजात शेखर आजाद, बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है और पिछले 15 सालों से ज्यादा वक्त से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। ज़ी मीडिया समेत कई नामी संस्थानों काम कर चुके हैं। जियो-पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर में काम करने का लंबा अनुभव है। NBT में दुनिया डेस्क पर कार्यरत हैं और इंटरनेशनल पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर पर लिखते हैं।… और पढ़ें

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