चीन को टक्कर दे रहा नालांदा का कन्हैयागंज, ‘स्विंग स्टार’ को देख आप भी कहेंगे यही है ‘मेक इन इंडिया’

kisded kisdedUncategorized3 days ago10 Views

नालंदा: बिहार के नालंदा जिले के कन्हैयागंज गांव के कुशल कारीगरों ने कमाल कर दिखाया है। उन्होंने चीन से आने वाला हाईटेक ‘स्विंग स्टार’ झूला अब यहीं बना दिया है। यह झूला पूरी तरह से आटोमैटिक है और इसमें एक साथ 30 लोग झूल सकते हैं। अरविंद विश्वकर्मा और पिंटू विश्वकर्मा के नेतृत्व में कारीगरों की टीम ने इसे दो महीने में तैयार किया है। इस झूले को बनाने का आइडिया उन्हें यूट्यूब से मिला। चीन से मंगाने पर यह झूला 1.5 करोड़ रुपये का पड़ता, लेकिन यहां यह सिर्फ 60 लाख रुपये में बन गया। यह ‘मेक इन इंडिया’ योजना से जुड़ा है।

अब तक चीन से आता है ‘स्विंग स्टार’ झूला

दरअसल, अब तक ‘स्विंग स्टार’ झूला चीन से आता है। लेकिन कन्हैयागंज के कारीगरों ने एक बड़ा काम किया है। अब यह झूला यहीं बन रहा है। यह झूला पूरी तरह से आटोमैटिक है। इसमें 30 लोग एक साथ झूल सकते हैं। इस झूले को बनाने में दो महीने लगे। अरविंद विश्वकर्मा और पिंटू विश्वकर्मा ने कारीगरों की टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने झूले के हाइड्रोलिक और मूवमेंट का ट्रायल किया। यह ट्रायल सफल रहा। अब सीटों को लगाकर लोगों के साथ ट्रायल किया जाएगा। अगर मौसम ठीक रहा, तो यह काम 10-12 दिनों में पूरा हो जाएगा। इसके बाद झूला बाजार में बिकने के लिए तैयार हो जाएगा।

झूला में लगा है ऑटोमेशन सिस्टम

अरविंद विश्वकर्मा ने बताया कि उन्होंने यह झूला पहली बार सोशल मीडिया पर देखा था। यह कर्नाटक के एक मेले में लगा था। उन्हें पता चला कि यह झूला चीन से मंगाया गया है और यह बहुत महंगा है। इसलिए उन्होंने इसे खुद बनाने की सोची। उन्होंने यूट्यूब और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जानकारी ली। फिर एक युवा टीम बनाई और सारा काम खुद किया। उन्होंने सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर की मदद से ऑटोमेशन सिस्टम भी बनाया।

चीन से 60 फीसदी सस्ता है कन्हैयागंज का झूला

कारीगरों का कहना है कि चीन से ऐसा झूला मंगाने में लगभग 1.5 करोड़ रुपये लगते हैं। लेकिन कन्हैयागंज में यह झूला सिर्फ 60 लाख रुपये में बन रहा है। यह लगभग 60 फीसदी सस्ता है। इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। अरविंद विश्वकर्मा ने बताया कि ‘स्विंग स्टार’ झूला कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से चलता है। इसमें तीन बटन होते हैं- चालू, बंद और इमरजेंसी। पिंटू विश्वकर्मा बताते हैं कि झूले का ऑटोमेशन सिस्टम दिल्ली से सीखकर तैयार किया गया है।

पहले भी बना चुके हैं आटोमैटिक झूले

कन्हैयागंज के कारीगर पहले भी आटोमैटिक झूले बना चुके हैं। उन्होंने 20 सीटर ‘तरंगा’ और 24 सीटर ‘सुनामी’ जैसे झूले बनाए हैं। यहां का झूला क्लस्टर ‘मेक इन इंडिया’ योजना से जुड़ा हुआ है। लेकिन जानकारी की कमी के कारण देशभर के खरीदार यहां तक नहीं पहुंच पाते हैं। इससे कारोबार को नुकसान होता है।

देवेन्द्र कश्यप

लेखक के बारे में

देवेन्द्र कश्यप

नवभारत टाइम्स डिजिटल में प्रिंसिपल डिजिटल कंटेंट प्रोड्यूसर। पत्रकारिता में महुआ टीवी, जी न्यूज, ईनाडु इंडिया, राजस्थान पत्रिका, ईटीवी भारत से होते हुए टाइम्स इंटरनेट तक का सफर। लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ सीखने की कोशिश। राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों में गहरी रुचि।… और पढ़ें

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