…तो ये है असली वजह? 15 पार्षदों ने क्यों तोड़ा AAP से नाता, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

IO_AdminUncategorized6 days ago21 Views

नई दिल्ली : विधानसभा चुनाव में हार के बाद आम आदमी पार्टी को अब उसके पार्षदों ने झटका दिया है। पार्टी के 15 पार्षदों ने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। पाला बदलने वाले पार्षद किसी और पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं। इन्होंने इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी बनाने का ऐलान किया है। इन पार्षदों ने ये भी साफ किया है कि उनकी पार्टी का कामकाज सिर्फ दिल्ली नगर निगम तक सीमित होगा। पार्टी छोड़ने वाले पार्षदों ने दावा किया कि वे चाहते हैं कि पब्लिक की समस्याओं का समाधान हो, इसी वजह से उन्होंने अलग फ्रंट बनाया है।

स्टैंडिंग कमिटी चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। आप के शीर्ष नेतृत्व से नाराज 15 पार्षदों ने बगावत कर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर नया दल बना लिया है। वजह यह बताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद शीर्ष नेतृत्व और पार्षदों के बीच संवाद ही टूट गया था। न तो उन्हें कोई गाइड करने वाला था और न ही उन पर कोई नियंत्रण रखने वाला था। जिससे जिसको जहां मौका मिला और अवसर दिखा, वह उसी पार्टी में शामिल हो गया।

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कई वजहों से आप में टूट-फूट

  • सूत्रों के अनुसार आम आदमी पार्टी पार्षदों के दल-बदल और बगावत की कई वजहें हैं। सबसे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद शीर्ष नेतृत्व और पार्षदों के बीच आपसी संवाद टूट गया था। पार्षदों और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच न तो कोई संवाद हो रहा था और न ही उन्हें कोई नियंत्रित करने वाला था।
  • कई पार्षदों को ऐसा लग रहा था कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में जिस तरह से मुंह मोड़ रखा है, उससे अगले चुनाव में इस पार्टी में रहते उनका जीतना मुश्किल है। ऐसे में उन्होंने पाला बदलना ही बेहतर समझा। यह भी बताया जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व ने पार्षदों की ओर देखना ही बंद कर दिया था। लंबे समय से उनके साथ कोई बातचीत भी नहीं हो रही थी। ऐसा करने के पीछे वजह यह बताई जा रही है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को यह लगता है कि एमसीडी के चलते ही विधानसभा चुनाव हार गए।
  • एमसीडी सत्ता में आने के बाद विधानसभा चुनाव से पहले ग्राउंड लेवल पर वह कई काम कर सकते थे, ताकि चुनावों से पहले लोगों में यह मेसेज जाए कि आम आदमी पार्टी एमसीडी की सत्ता में आने के बाद बीजेपी से बेहतर काम कर रही है। लेकिन 15 साल की सत्ता में बीजेपी ने जो माइलस्टोन तय किया था, पार्टी उसके आसपास भी नहीं थी। उधर, दिल्ली सरकार भी कामों को डिलीवर करने में फेल थी और इधर एमसीडी सत्ता में होने के बाद भी कोई काम नहीं हुआ। जिससे लोगों ने आप को नकार दिया।

पद की लड़ाई भी चौथे फ्रंट के लिए जिम्मेदार

सूत्रों का कहना है कि 2022 में एमसीडी चुनाव से ठीक पहले दशकों तक कांग्रेस में रहे मुकेश गोयल ने पाला बदलकर आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली। पिछले 28 सालों से वह पार्षद हैं और अब तक एमसीडी का कोई चुनाव भी नहीं हारा है। सत्ता में आने पर उन्हें नेता सदन बनाया गया। ढाई सालों में सत्ता परिवर्तन के बाद आप के विपक्ष में आने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि विपक्ष का नेता बनाया जाएगा। लेकिन, उन्हें कोई पद नहीं मिला। उनकी नाराजगी की एक वजह यह भी बताई जा रही है। गोयल का कहना है कि 28 साल में हमने एमसीडी में जो चीजें देखी हैं, आप ने उससे बुरा ढाई सालों में कर दिया। सत्ता में होते हुए भी अधिकारी सत्तारूढ़ पार्टी की नहीं सुनते थे। पार्षदों को अपने वॉर्ड में विकास के लिए कोई फंड नहीं दिया। पार्षदों को यह लॉलीपॉप दिया गया कि उनका वेतन एक लाख रुपये प्रति माह कर दिया जाएगा, लेकिन यह भी नहीं किया।

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