उत्कर्ष कुमार सिंह,मिर्जापुर। नवरात्रि का पावन पर्व आते ही मां विंध्यवासिनी धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। हर भक्त चाहता है कि वह बिना किसी कठिनाई के माता के दर्शन कर सके। यदि आप भी नवरात्रि के दौरान विंध्याचल धाम जाने की योजना बना रहे हैं, तो यह लेख आपकी यात्रा को सुगम और आरामदायक बनाने में सहायक होगा। यहां हम आपको हवाई, रेल और सड़क मार्ग से धाम तक पहुंचने का सबसे सरल तरीका बताएंगे, साथ ही त्रिकोण दर्शन की प्रक्रिया को भी समझाएंगे।
हवाई मार्ग से यात्रा
विंध्याचल में कोई हवाई अड्डा नहीं है, इसलिए यहां आने के लिए निकटतम एयरपोर्ट का उपयोग करना होगा। सबसे करीब लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाराणसी में स्थित है, जो विंध्याचल से लगभग 68 किमी दूर है। इसके अलावा, आप प्रयागराज के बमरौली एयरपोर्ट तक भी उड़ान भर सकते हैं, जो यहां से करीब 100 किमी की दूरी पर है। दोनों हवाई अड्डों से देशभर के प्रमुख शहरों के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं। एयरपोर्ट पहुंचने के बाद, विंध्याचल जाने के लिए कैब या बस की सुविधा आसानी से ली जा सकती है।नवरात्रि के दौरान पहले से ही टैक्सी या बस की बुकिंग कर लेना बेहतर रहेगा।
रेल मार्ग से यात्रा
विंध्याचल का रेलवे नेटवर्क काफी मजबूत है। यहां दो प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं:
विंध्याचल रेलवे स्टेशन: इस रेलवे स्टेशन से मां विंध्यवासिनी धाम महज 300 मीटर की दूरी पर है। इस रेलवे स्टेशन से श्रद्धालु पैदल ही मां के दरबार में पहुंच सकते हैं। नवरात्रि के दौरान विंध्याचल रेलवे स्टेशन पर यहां से गुजरने वाली सभी ट्रेनों का दो मिनट का ठहराव सुनिश्चित किया गया है। गुवाहाटी, गुजरात, महाराष्ट्र एवं असम से आने वाले यात्री आसानी से धाम में पहुंच सकते हैं।
मिर्जापुर रेलवे स्टेशन: यह विंध्याचल से लगभग 8 किमी दूर है और यहां से आसानी से ऑटो या टैक्सी द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, वाराणसी, लखनऊ समेत कई बड़े शहरों से इन रेलवे स्टेशनों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग से यात्रा
अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं, तो विंध्याचल उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से आने वाले श्रद्धालु रीवा-वाराणसी मार्ग का उपयोग कर सकते हैं और समोगरा के पास से विंध्याचल के लिए सरल रास्ता अपना सकते हैं। छत्तीसगढ़ से यात्रा करने वाले भक्तों के लिए सोनभद्र-मिर्जापुर मार्ग सुविधाजनक रहेगा, जिससे वे बिना किसी जाम में फंसे कम समय में मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
बिहार और झारखंड के श्रद्धालु वाराणसी-प्रयागराज मार्ग से औराई के रास्ते होते हुए आसानी से विंध्याचल पहुंच सकते हैं। यह मार्ग यात्रा को सुगम और आरामदायक बनाता है। निजी वाहन से यात्रा करने वाले श्रद्धालु हाईवे के माध्यम से आसानी से पहुंच सकते हैं। लोकल बस और वोल्वो बसें भी नियमित रूप से मिर्जापुर और अन्य शहरों से चलती हैं।नवरात्रि के दौरान अतिरिक्त बस सेवाएं भी उपलब्ध रहती है।
त्रिकोण दर्शन का महत्व और सही तरीका
मां विंध्यवासिनी धाम में त्रिकोण दर्शन करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसमें तीन महत्वपूर्ण शक्तिपीठों के दर्शन किए जाते हैं:
1. मां विंध्यवासिनी: सबसे पहले मुख्य मंदिर में मां विंध्यवासिनी के दर्शन किए जाते हैं।
2. कालीखोह (महाकाली): इसके बाद कालीखोह में मां महाकाली के दर्शन होते हैं।
3. अष्टभुजा देवी: अंत में अष्टभुजा पहाड़ी पर स्थित देवी अष्टभुजा के दर्शन किए जाते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रिकोण दर्शन करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को धन, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।