नई दिल्ली: प्यार था, भरोसा था और उम्रभर साथ निभाने का वादा भी… अफेयर था, विश्वासघात था और मौत की इंदौर जैसी स्क्रिप्ट भी। फर्क था तो बस नाम का। आज सोनम रघुवंशी है, लेकिन उस वक्त शुभा थी। आज हनीमून पर ले जाकर राजा रघुवंशी की जान ली गई है और तब गिरीश को धोखे से सुनसान जगह पर ले जाकर मारा गया था। इंदौर के हनीमून हत्याकांड ने 21 साल पुरानी एक कहानी को फिर से जिंदा कर दिया है। उस कहानी में भी वैसे ही किरदार थे, जैसे आज राजा रघुवंशी के केस में हैं।
तारीख थी 30 नवंबर 2003 और जगह कर्नाटक का बेंगलुरु शहर। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर गिरीश की सगाई, शुभा शंकरनारायण नाम की लड़की से हुई। शुभा कानून की पढ़ाई कर रही थी और फाइनल ईयर में थी। दोनों परिवार पिछले करीब 10 साल से एक-दूसरे को जानते थे। सगाई हुई तो 27 वर्षीय गिरीश, शुभा के साथ अपनी नई जिंदगी शुरू करने के सपने देखने लगा। शादी के लिए अप्रैल 2004 का मुहूर्त निकला।
लेकिन, कहानी महज इतनी नहीं थी। जिस तरह इंदौर की सोनम का अफेयर अपने से पांच साल छोटे राज कुशवाहा के साथ था। ठीक वैसे ही शुभा अपने कॉलेज में अरुण वर्मा नाम के एक लड़के से प्यार करती थी। अरुण कॉलेज में शुभा का जूनियर था। शुभा ने अरुण के बारे में अपनी मां से भी बताया और कहा कि वो उसी से शादी करना चाहती है, लेकिन मां ने साफ-साफ इंकार कर दिया।
परिवार ने मर्जी के खिलाफ शुभा की सगाई गिरीश के साथ तय की थी, लेकिन वो अरुण के साथ शादी करना चाहती थी। इसलिए, उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर एक खतरनाक साजिश रची। साजिश थी गिरीश की हत्या की। एक तरफ, गिरीश नई जिंदगी के सपने देख रहा था और दूसरी तरफ शुभा उसकी हत्या के लिए कॉन्ट्रैक्ट किलर हायर कर रही थी।
शुभा ने डिनर के बहाने से बुलाया
सगाई से दो दिन पहले गिरीश ने शुभा को कॉलेज की क्लास खत्म होने के बाद घर छोड़ा था। और, सगाई के दो दिन बाद शुभा ने गिरीश को एयरपोर्ट रोड पर डिनर के लिए ले जाने को कहा। वो 3 दिसंबर 2003 की रात थी, जब डिनर के बाद शुभा गिरीश को एचएएल हवाई अड्डे के पास एक सुनसान और अंधेरी जगह पर हवाई जहाज देखने के बहाने ले गई। उसने कहा कि वह उड़ते हुए हवाई जहाज को देखना चाहती है।
पीछे से हमला और मौत
साजिश से अंजान गिरीश की नजरें अभी हवाई पट्टी की तरफ घूमी ही थीं कि पीछे से किसी ने उसके सिर पर धारदार हथियार से हमला किया। गिरीश लहूलुहान होकर वहीं गिर पड़ा। शुभा ने नाटक किया और दिखावे के लिए उसे काफी देर बाद हॉस्पिटल लेकर पहुंची। हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने बताया कि गिरीश मर चुका है। मामले की खबर पुलिस को दी गई।
सगाई के वीडियो से मिला सुराग
शुभा ने पुलिस को बयान दिया कि जब वह गिरिश के साथ सड़क पर टहल रही थी, तो दो अजनबी लोगों ने उसके ऊपर हमला कर दिया। हत्यारे का कोई सुराग नहीं था और पुलिस कई दिनों तक अंधेरे में हाथ-पांव मारती रही। इस बीच पुलिस ने शुभा और गिरीश की सगाई का वीडियो मंगवाया और उसे ध्यान से देखा। वीडियो में सगाई के दिन शुभा के चेहरे पर कोई खुशी नहीं दिखी। उसके चेहरे पर उदासी भरे भाव थे।
फोन की लोकेशन से खुला राज
पुलिस का माथा ठनका और उन्होंने अपनी तफ्तीश शुभा की तरफ घुमा दी। उसके कॉल रिकॉर्ड चेक किए गए तो एक नंबर मिला, जिस पर हत्या से पहले और बाद में कई बार बात हुई थी। ये नंबर अरुण वर्मा का था। पुलिस ने अरुण से पूछताछ की, तो उसने बताया कि हत्या वाली रात वो शहर में ही नहीं था। लेकिन, जब उसके फोन की लोकेशन चेक हुई तो उसका नंबर उस दिन हत्या वाली जगह पर एक्टिव मिला।
शुभा ने कबूला गुनाह, मिली उम्रकैद
इसके बाद पुलिस ने शुभा और अरुण को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की। दोनों पुलिस के सामने टूट गए और अपना गुनाह कबूल कर लिया। बेंगलुरु पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया- शुभा, अरुण, वेंकटेश और दिनकर। कोर्ट ने चारों को हत्या का दोषी माना और उम्रकैद की सजा सुनाई। ये पूरी कहानी बिल्कुल वैसी ही थी, जैसी आज सोनम और राजा रघुवंशी की है।