बगहा: बिहार के छोटे से शहर बगहा में (पीएमबीजेपी) लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। बड़ी संख्या में स्थानीय लोग इस योजना की सराहना कर रहे हैं। सरकार की इस योजना को स्थानीय लोग स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में मील का पत्थर बता रहे हैं।
PM जन औषधि केंद्र ने दी बड़ी राहत
जन औषधि केंद्र का उद्देश्य सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराना है, जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों के लिए बहुत जरूरी राहत लेकर आया है। लाभार्थियों का कहना है कि कम लागत वाली, लेकिन प्रभावी दवाओं की उपलब्धता ने स्वास्थ्य सेवा तक उनकी पहुंच में काफी सुधार किया है। कुछ लाभार्थियों से बात करते हुए अपने अनुभव को साझा किया और बताया कि कैसे इस योजना ने उनके जीवन को बदल दिया है।
सस्ती दवाएं, गरीबों के लिए वरदान- ग्राहक
जन औषधि केंद्र के नियमित ग्राहक अभिषेक कुमार ने कहा, ‘यहां अच्छी गुणवत्ता वाली दवाइयां बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं। यह गरीबों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। केंद्र में लगभग हर जरूरी दवा उपलब्ध है। यहां ज्यादातर गरीब लोग आते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि सभी को इस सेवा का लाभ उठाना चाहिए। मैं मोदी सरकार को धन्यवाद देता हूं और मानता हूं कि हर गली, गांव और कस्बे में ऐसे केंद्र खोले जाने चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति सस्ती दवाई से वंचित न रहे।’
अस्पताल को भी हुआ फायदा
लाभार्थी सुभ्रांतुधर मिश्रा ने बताया कि बगहा के अनुमंडल अस्पताल में स्थित यह केंद्र विशेष रूप से मददगार रहा है। केंद्र सरकार के प्रति आभार जताते हुए उन्होंने कहा, “यहां की दवाएं कारगर हैं। एकमात्र चुनौती आपूर्ति में कभी-कभी होने वाली देरी है। अगर दवाएं समय पर आती हैं, तो यह योजना आम आदमी के लिए पूरी तरह से बदलाव लाएगी। कई दवाएं बाजार मूल्य से करीब 20 फीसदी कम कीमत पर उपलब्ध हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए यह वाकई वरदान है।”
हर तरह की दवाएं भी उपलब्ध
स्थानीय निवासी शैलेश तिवारी ने कहा, ‘यह योजना बहुत मददगार रही है। मैं यहां से रक्तचाप और एसिडिटी की दवाइयां ब्रांडेड दवाओं की तुलना में बहुत कम कीमत पर खरीदता हूं। जो लोग जन औषधि केंद्र के बारे में जानते हैं, वे इसका भरपूर लाभ उठाते हैं। यह गरीबों के लिए एक बेहतरीन पहल है और इसके बारे में और भी अधिक जागरूकता की आवश्यकता है। यह वास्तव में मोदी सरकार की सबसे प्रभावशाली योजनाओं में से एक है।’
125 की दवा 12 रुपये में
केंद्र संचालक अरुण कुमार द्विवेदी ने पहल के महत्व और लोकप्रियता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बाजार में 125 रुपए की दवाइयां यहां मात्र 12 रुपए में मिल जाती हैं। केंद्र से प्रतिदिन लगभग 250 से 300 लोग लाभान्वित होते हैं। योजना अच्छी तरह से काम कर रही है, लेकिन बिहार में अभी भी पर्याप्त वितरण एजेंसियों की कमी है। हमें देरी का सामना करना पड़ता है क्योंकि दिल्ली से आपूर्ति आती है और पहुंचने में चार से पांच दिन लगते हैं। अधिक केंद्र खुलने और बेहतर आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ, यह योजना और भी अधिक लाभकारी हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की शुरुआत नवंबर 2008 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य जन औषधि केंद्रों के नाम से जाने जाने वाले समर्पित आउटलेट के माध्यम से सभी को गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराना है।
आईएएनएस के इनपुट्स