शनि शिंगणापुर मंदिर से 114 मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया, जानें पूरा मामला

IO_AdminUncategorized9 hours ago4 Views

नासिक : महाराष्ट्र के अहिल्यानगर में शनि शिंगणापुर मंदिर है। इस मंदिर के ट्रस्ट ने हाल ही में 167 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। ट्रस्ट ने कहा कि ये कार्रवाई अनुशासनात्मक कारणों से की गई है। मंदिर के सूत्रों के अनुसार, निकाले गए कर्मचारियों में से 114 (68%) मुस्लिम हैं। श्री शनैश्वर देवस्थान ट्रस्ट ने कर्मचारियों को निकालने का कारण काम में लापरवाही और लंबी अनुपस्थिति बताया है। हालांकि, ट्रस्ट ने कोई खास वजह नहीं बताई है। जिन कर्मचारियों को निकाला गया है, वे 2 से 10 साल से काम कर रहे थे। उन्हें 8 जून और 13 जून को दो चरणों में निकाला गया।

सकल हिंदू समाज नामक एक संगठन ने 14 जून को मंदिर में काम करने वाले गैर-हिंदुओं को हटाने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दी थी। यह विरोध मई में वायरल हुए एक वीडियो के बाद हुआ। वीडियो में एक व्यक्ति, जो हिंदू नहीं बताया जा रहा था, मंदिर में पेंटिंग का काम कर रहा था।

भेदभाव से किया इनकार

देवस्थान के CEO गोरक्षनाथ दरंदले ने कर्मचारियों को निकालने को सही ठहराया और भेदभाव से इनकार किया। उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई में भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं है। निकाले गए लोग अलग-अलग धर्मों के हैं। यह कार्रवाई पूरी तरह से अनुशासनात्मक थी। देवस्थान में 2,400 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। कई लोग काम पर नहीं आते हैं। देवस्थान ने उनका वेतन रोक दिया था और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। यह पहली खेप है जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है।

देवस्थान के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निकाले गए कर्मचारी मंदिर ट्रस्ट के कृषि, कचरा प्रबंधन और शिक्षा विभागों में काम कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ कर्मचारी पांच महीने से काम से अनुपस्थित थे। इसका मतलब है कि वे बिना बताए लंबे समय से गायब थे।

बताया हिंदुओं की जीत

आचार्य तुषार भोसले ने कहा कि शनि शिंगणापुर मंदिर में मुस्लिम कर्मचारियों की नियुक्ति के विरोध में हिंदू समाज ने भव्य मोर्चा निकाला था। इस मोर्चे का दबाव इतना प्रभावी रहा कि मंदिर प्रशासन को झुकना पड़ा। आचार्य तुषार भोसले ने घोषणा की कि मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जाएगा। यह सकल हिंदू समाज की एकता की जीत है। मैं देशभर के सभी शनि भक्तों और हिंदू समाज का अभिनंदन करता हूं, जिनके एकजुट प्रयासों ने यह संभव किया। मोर्चे की सफलता ने यह साबित कर दिया कि समाज के संगठित प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं।

भोसले ने कहा कि यह आंदोलन न केवल मंदिर की परंपराओं की रक्षा के लिए था, बल्कि यह हिंदू समाज की एकता और ताकत का प्रतीक भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज के एकजुट होने से कोई भी गलत निर्णय बदला जा सकता है। उन्होंने समाज से अपील की कि वे भविष्य में भी एकजुट रहें ताकि ऐसी परिस्थितियों में सही निर्णय लिए जा सकें।

शशि मिश्रा

लेखक के बारे में

शशि मिश्रा

निष्पक्षता, ईमानदारी, आत्मविश्वास और जिज्ञासु वृत्ति के साथ पत्रकारिता। जुनून की शुरुआत 2007 में अमर उजाला से। दैनिक जागरण कानपुर ने तराशा। सहारा में पॉलिशिंग और नवभारत टाइम्स ने दी चमक। सफर Navbharattimes.com के साथ जारी। लिखने, घूमने और नई बातों को जानने एक्सप्लोर करने में दिलचस्पी। जीवन का फंडा: हर किसी के पास दो रास्ते होते हैं, भाग लो (Run) या भाग लो (Part)। मैं भागने की जगह भाग लेना चुनती हूं।… और पढ़ें

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