₹11.65 लाख कीमत और ₹20.60 लाख खर्च, कार खरीदना है बड़ा जंजाल! समझिए टैक्स का पूरा खेल

kisded kisdedUncategorized18 hours ago5 Views

नई दिल्ली: भारत दुनिया का तीसरा बड़ा कार मार्केट है। पिछले साल देश में करीब 43 लाख कारें बिकी थीं। एक अनुमान के मुताबिक अभी देश में केवल 8 फीसदी परिवारों के पास ही कार है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में आने वाले दिनों में इस बाजार में कितनी गुंजाइश है। लेकिन देश में अब भी कार को लग्जरी आइटम समझा जाता है और इस पर भारी टैक्स देना पड़ता है। इस कारण कार की कीमत कई बार बेस प्राइस से दोगुना पहुंच जाती है। भारत में कारों पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है जो दूसरे कई देशों की तुलना में दोगुना है। कार कंपनियां कई बार टैक्स को कम करने की मांग कर चुकी हैं।

भारत में कार पर कितना टैक्स देना पड़ता है, इसे एक उदाहरण के जरिए समझने की कोशिश करते हैं। महिंद्रा की लोकप्रिय कार थार का बेस प्राइस 11.65 लाख रुपये है लेकिन ग्राहक को यह 20.60 लाख रुपये में बैठती है। कार खरीदने पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है। इस तरह थार खरीदने पर आपको 14% स्टेट जीएसटी और 14% सेंट्रल जीएसटी देना होगा। थार के मामले में 1.63 लाख रुपये स्टेट जीएसटी और 1.63 लाख रुपये सेंट्रल जीएसटी होगा। साथ ही 2.33 लाख रुपये सेस (20%), 17,240 रुपये का टीसीएस (1%), 2.19 लाख रुपये का रोड टैक्स और 1 लाख रुपये का इंश्योरेंस लगता है। यानी कुल टैक्स 7.95 लाख रुपये का टैक्स भरते हैं। एक लाख रुपये का बीमा कवर के साथ कुल रकम 20.60 लाख रुपये हो जाती है।

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बिक्री की रफ्तार घटी

देश की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कुछ साल पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि सरकार की नीतियां ऐसी हैं कि वह कार को अब भी लग्जरी प्रोडक्ट के तौर पर देखती है। यही वजह है कि कार पर भारी टैक्स लगता है। हाल के वर्षों में देश में कार इंडस्ट्री की रफ्तार धीमी हुई है। 2024 में देश में कारों की बिक्री की ग्रोथ चार साल में सबसे कम रही। शहरी बाजार की चुनौतियों के कारण यह ग्रोथ महज 5 फीसदी रही। 2023 में देश में कुल 41.1 लाख कारें बिकी थीं जबकि 2024 में यह संख्या करीब 43 लाख रही।

दिल प्रकाश

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दिल प्रकाश

दिल प्रकाश नवभारतटाइम्स.कॉम में असिस्टेंट न्यूज एडिटर हैं। उन्हें पत्रकारिता में 17 साल से अधिक अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत साल 2006 में यूनीवार्ता से की थी। शुरुआत में खेल डेस्क के लिए काम किया। इस दौरान राष्ट्रमंडल खेल (2010), हॉकी वर्ल्ड कप, आईपीएल और वनडे वर्ल्ड कप (2011) को कवर किया। फिर नेशनल ब्यूरो से जुड़े और पार्लियामेंट से लेकर राजनीति, डिफेंस और पर्यावरण जैसे कई विषयों पर रिपोर्टिंग की। इस दौरान तीन साल तक बीबीसी में भी आउटसाइड कंट्रीब्यूटर रहे। यूनीवार्ता में दस साल तक काम करने के बाद साल 2016 में बिजनस स्टैंडर्ड से जुड़े। फरवरी 2020 में ऑनलाइन का रुख किया।… और पढ़ें

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