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रामबाबू मित्तल, मेरठ: देश की राजधानी दिल्ली में गृह मंत्रालय के निर्देश पर दिल्ली में रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई की आशंका के चलते मेरठ, बागपत, हापुड़, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर उनके संभावित ठिकाने बन सकते हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर उत्तराखंड के इलाकों में भी पैठ बढ़ा रहे हैं। हालांकि, अधिकृत इनपुट से अधिकारी इनकार कर रहे हैं, लेकिन एजेंसियां सतर्क हैं।

रुड़की में रोहिंग्याओं के पास मिले थे संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी कार्ड
उत्तराखंड के रुड़की के बुचढ़ी ढढेरा रेलवे फाटक बस्ती के पास दो बांग्लादेशी रोहिंग्या, मोहम्मद तारिस और शाबीर अहमद को पुलिस और दूसरी एजेंसियों ने हिरासत में लिया। सूत्रों के अनुसार उनके पास संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड भी मिले थे। उन्होंने कई मुस्लिम बस्तियों से चंदा जुटाया था।

पुलिस पूछताछ के बाद वे 19 मार्च को यूपी के अमरोहा लौटने की बात कहकर चले गए थे। इसके बाद दिल्ली में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ अभियान की आहट मिलते ही उनके पश्चिमी यूपी के जिलों में शरण लेने की आशंका बढ़ गई है।

पुलिस और एजेंसियों की प्रतिक्रिया
मेरठ एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने किसी अधिकृत इनपुट की जानकारी से इनकार किया, लेकिन चौकसी बरतने की बात कही। समय-समय पर संदिग्ध बांग्लादेशियों को लेकर सुरक्षा एजेंसियां जांच करती रही हैं। वहीं एडीजी डीके ठाकुर ने गृह मंत्रालय के इनपुट से इनकार किया, लेकिन सतर्कता बरतने की बात कही।

हापुड़ हो सकता है मुफीद ठिकाना, मेरठ में संदिग्धों के ठिकाने
इंटेलिजेंट सूत्रों के अनुसार, हापुड़ भौगोलिक दृष्टि से बांग्लादेशी ओर रोहिंग्या घुसपैठियों के लिए अनुकूल हो सकता है। वहां से विभिन्न इलाकों में जाना आसान है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां विशेष निगरानी रख रही हैं। वही मेरठ में कई इलाके संदिग्ध बांग्लादेशियों के ठिकानों के रूप में जाने जाते हैं।

इनमें हापुड़ रोड पर नगर निगम के पुराने कमेले से सटी यमुना नगर बस्ती, कैंट क्षेत्र के बूचरी रोड, वीर बाला पथ और योगेंद्र हाट शामिल हैं। इनमें से कई रोहिंग्याओं ने आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बनवा लिए हैं।

फर्जी दस्तावेजों की जांच जरूरी, सत्यापन करने में कठिन काम
यदि ये लोग वास्तव में बांग्लादेशी हैं और उन्होंने आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज बनवा लिए हैं, तो यह गंभीर जांच का विषय है। कैंट क्षेत्र में संदिग्ध बांग्लादेशियों की मौजूदगी कोई नई बात नहीं है। कुछ साल पहले सेना ने बूचरी रोड पर इनका बसेरा हटाने का अभियान चलाया था, लेकिन वे फिर वहीं लौट आए।

एक अधिकारी ने नाम ने छापने की शर्त पर बताया कि बंगला भाषा होने के कारण बांग्लादेशी घुसपैठिए अपने को पश्चिम बंगाल को बताते हैं। जब इनका सत्यापन करते है तो इस दौरान ये सभी रातों रात फरार होकर किसी अन्य स्थान पर अपना ठिकाना बना लेते है।

चार साल पहले भी रोहिंग्या घुसपैठ पर हुआ था ऑपरेशन
करीब चार साल पहले यूपी के तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल और एडीजी प्रशांत कुमार (वर्तमान डीजीपी यूपी) के समय रोहिंग्याओं की घुसपैठ को लेकर सुरक्षा एजेंसियों के सामने नई चुनौती खड़ी हुई थी। एटीएस ने यूपी में रोहिंग्याओं के खिलाफ अभियान तेज किया था। रिपोर्ट के अनुसार, मेरठ, अलीगढ़ और बुलंदशहर में रोहिंग्याओं का नेटवर्क फैल चुका था।

पूर्व में 13 बांग्लादेशी ओर रोहिंग्या संदिग्ध की हुई थी गिरफ्तारी
उस दौरान, रोहिंग्याओं की अवैध मौजूदगी के इनपुट मिलने के बाद डीजीपी मुकुल गोयल ने सभी जिलों में उनकी जांच और कार्रवाई के आदेश दिए थे। जून में सुरक्षा एजेंसियों ने यूपी से 13 संदिग्ध रोहिंग्याओं को गिरफ्तार किया था।

खुफिया विभाग के सूत्रों की माने तो पश्चिम यूपी में बंगलादेशी और रोहिंग्याओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सतर्क रहने की जरूरत है। मेरठ, हापुड़, बागपत, शामली और सहारनपुर जैसे जिलों में लगातार निगरानी और कड़ी कार्रवाई से ही इस घुसपैठ को रोका जा सकता है।

साल दर साल बढ़ता रहा घुसपैठियों का आंकड़ा
रिपोर्टस के मुताबिक कश्मीर से कन्याकुमारी के बीच देश के करीब 17 राज्यों में करीब दो करोड़ बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। इस बारे में पहला आधिकारिक आंकड़ा संसद में 2007 में आया था। तब तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने बताया था कि भारत में 12 मिलियन यानी 1.2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी हैं।

हाल ही में एनडीए सरकार में गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने यह आंकड़ा करीब 20 मिलियन बताया है। 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत में 3,084,826 लोग बांग्लादेश से आए थे।

ऐश्वर्य कुमार राय

लेखक के बारे में

ऐश्वर्य कुमार राय

ऐश्वर्य कुमार राय नवभारत टाइम्स ऑनलाइन में बतौर प्रिंसिपल डिजिटल कॉन्टेंट प्रड्यूसर कार्यरत। गृहनगर पूर्वी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर, जहां जन्म से लेकर स्कूल तक शिक्षा-दीक्षा हुई। ग्रैजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी से करने के बाद भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) से पत्रकारिता में पीजी-डिप्लोमा की पढ़ाई। पेशेवर सफर देश की एकमात्र त्रिभाषीय एजेंसी UNI-वार्ता से शुरू हुआ। फिर NBT के साथ आगे की यात्रा। दिल्ली और लखनऊ कर्मभूमि। यात्रा, सिनेमा, दर्शन, इतिहास में दिलचस्पी।… और पढ़ें

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