IO_AdminUncategorized5 days ago10 Views

ताइवे: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को अब पूरा यकीन है कि वे ताइवान की लोकतांत्रिक संस्कृति को खत्म करने के लिए युद्ध शुरू कर सकते हैं और इसमें उन्हें जीत हासिल होगी। लेकिन ताइवान में युद्ध शुरू करने का चीन का फैसला इस बात पर निर्भर करता है कि वह कोरियाई प्रायद्वीप, यूरोप या फिर भारतीय उपमहाद्वीप में युद्धों को बढ़ावा दे सके। रिचर्ड डी फिशर, जो इंटरनेशनल एसेसमेंट एंड स्ट्रैटजी सेंटर के सीनियर फेलो हैं, उन्होंने ताइपे टाइम्स में आशंका जताई है कि चीन पूरे प्लान के साथ ऐसा कर रहा है और भविष्य में उसकी कोशिश पूर्वोत्तर भारत के राज्यों पर कब्जा करने की है। उन्होंने लिखा है कि “चीन का यह कहना कि वह भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का समर्थन करता है, पाखंड से भरा लगता है। क्योंकि चीन की सैन्य और आर्थिक मदद से ही ऐसे संघर्ष संभव हो पाते हैं।”

उन्होंने लिखा है कि “2023 में चीन ने पाकिस्तान को करीब 20 J-10CE 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमान दिए। इनमें 200 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली PL-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें थीं। जिनका भारतीय राफेल से मुकाबला हुआ था। इसके अलावा चीन ने पाकिस्तान के लिए ‘किल चेन’ नेटवर्क भी तैयार किया है, जिसमें डेटा लिंक और रडार नेटवर्क शामिल थे।” उन्होंने भारतीय सूत्रों का हवाला देते हुए लिखा है कि “चीन ने सीधे पाकिस्तान को खुफिया जानकारी भी दी, जिससे पाकिस्तान के J-10CE और PL-15 AAM ने भारत के खिलाफ हमले किए।”

भारत को झगड़े में उलझाना चाहता है चीन
रिचर्ड डी फिशर ने लिखा है कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम चीन की मदद से ही चल रहे हैं। पाकिस्तान का मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेड रीएंट्री व्हीकल (MIRV) वॉरहेड भी चीन की मदद से ही संभव हो पाया है। दिसंबर 2024 में पूर्ववर्ती बाइडेन प्रशासन के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने बताया था, कि पाकिस्तान अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित कर रहा है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका तक पहुंच सकती हैं। इसकी तकनीक चीन या उत्तरी कोरिया के रास्ते पाकिस्तान पहुंची होंगी। उन्होंने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अनुमानों के मुताबिक 170-170 परमाणु हथियार हैं। इनसे पाकिस्तान के करीब 50 प्रमुख परमाणु, वायु और नौसैनिक ठिकानों और भारत के 70 से ज्यादा प्रमुख सैन्य ठिकानों पर हमला किया जा सकता है। इससे 20 से 125 मिलियन लोगों की मौत हो सकती है।

परमाणु युद्ध की स्थिति में भारत के पास चीन के खिलाफ खड़ा होने की क्षमता काफी कम हो जाएगी, जिससे चीन को अपनी एक लाख 20 हजार सैनिकों की टुकड़ी को भारतीय सीमा के पास से हटाने का मौका मिल जाएगा, जिसे ताइवान के पास तैनात किया जा सकता है। उन्होंने आशंका जताई है कि PLA अपनी 24 PLA ग्राउंड फोर्स कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड को ताइवान पर आक्रमण या कब्जे के लिए भेज सकता है। प्रत्येक ब्रिगेड में औसतन 5,000 सैनिक होते हैं। ऐसे में ताइवान पर चीनी कब्जे का भयानक नतीजा ये निकल सकता है कि चीन का अगला कदम भारत के अरूणाचल प्रदेश पर हमला करना हो। अरूणाचल के बाद PLA असम और त्रिपुरा में भी घुसपैठ कर सकती है। इसके अलावा चीनी कम्युनिस्ट पार्टी बांग्लादेश से समझौता कर हिंद महासागर में अड्डे बना सकती है। इससे CCP बांग्लादेश और म्यांमार पर अपनी पकड़ और मजबूत कर लेगा। यह मलक्का जलडमरूमध्य का दक्षिणी हिस्सा बन जाएगा, जिससे सिंगापुर, इंडोनेशिया, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया और फारस की खाड़ी और पूर्वोत्तर एशिया की अर्थव्यवस्थाओं पर और भी अधिक राजनीतिक-आर्थिक दबाव पड़ेगा।

ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन क्यों नहीं करता भारत?
रिचर्ड डी फिशर ने सवाल उठाए हैं कि 10 मई को ताइवान के विदेश मंत्रालय ने भारत के लिए एक मजबूत समर्थन बयान जारी किया था। इसमें कहा गया था कि वह “भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा और उन आतंकवादी ताकतों से लड़ने के लिए उठाए गए सभी वैध और आवश्यक कदमों का मजबूती से समर्थन करता है जो सीमाओं को पार करके निर्दोष नागरिकों पर हमला करते हैं।” लेकिन “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ताइवान की स्वतंत्रता के लिए भारत का समर्थन उस हद तक नहीं है, जिस हद तक PLA द्वारा ताइवान पर कब्जा करने से भारत के लिए नए खतरे पैदा हो जाएंगे। या यह उस हद तक भी नहीं है, जिस हद तक चीन ने पाकिस्तान को भारत के लिए एक परमाणु खतरा बना दिया है।” उन्होंने कहा है कि “इसका मतलब यह नहीं है कि भारत, चीन की धोखेबाजी का बदला ताइवान को परमाणु हथियार देकर ले। लेकिन क्या भारत अपनी 800 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस-II सुपरसोनिक एंटीशिप मिसाइल को बेचने पर विचार कर सकता है, जैसा कि उसने फिलीपींस को कम दूरी वाली मिसाइलें बेची हैं?”

उन्होंने कहा है कि चीन, लगातार पाकिस्तान की सेना को मजबूत कर रहा है। चीनी एयरफोर्स को अत्याधुनिक मिसाइलें और फाइटर जेट्स दे रहा है। बैलिस्टिक मिसाइलें दे रहा है, लेकिन भारत या अमेरिका जैसे देश ताइवान की रक्षा में मदद के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। अमेरिका को भी रेथियॉन AIM-174B AAM और लॉकहीड मार्टिन टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) या रेथियॉन SM-3 जैसी लंबी दूरी की मिसाइल इंटरसेप्टर की बिक्री पर विचार करना होगा। दूसरी तरफ अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के पास 427,000 सैनिक, 1,100 लड़ाकू विमान और कई मिसाइलें हैं, जिन्हें वह भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए, यह जरूरी है कि भारत और ताइवान दोनों सुरक्षित रहें। अगर ये दोनों देश कमजोर हो जाते हैं, तो चीन और भी ताकतवर हो जाएगा। इस लेख में रिचर्ड डी फिशर ने गंभीर चेतावनी है कि चीन, ताइवान पर हमला करने की योजना बना रहा है और अमेरिका को इस हमले को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। और भारत को भी ताइवान की मदद के लिए सामने आना चाहिए।

अभिजात शेखर आजाद

लेखक के बारे में

अभिजात शेखर आजाद

अभिजात शेखर आजाद, बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है और पिछले 15 सालों से ज्यादा वक्त से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। ज़ी मीडिया समेत कई नामी संस्थानों काम कर चुके हैं। जियो-पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर में काम करने का लंबा अनुभव है। NBT में दुनिया डेस्क पर कार्यरत हैं और इंटरनेशनल पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर पर लिखते हैं।… और पढ़ें

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