kisded kisdedUncategorized12 hours ago5 Views

टोक्यो: जापान में बच्चों के जन्मदर में भारी गिरावट का दौर लगातार जारी है। बीते साल यानी 2024 में देश में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या पहली बार 7 लाख से नीचे आ गई है। साल 2024 में जापान में 6,86,061 बच्चे पैदा हुए हैं। बुधवार को जारी जापान सरकार के आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में 2023 की तुलना में 41,227 कम बच्चे पैदा हुए हैं। ये साल 1899 में जन्म का रिकॉर्ड रखना शुरू होने के बाद यानी 126 साल में सबसे कम आंकड़ा है। इससे जापान में जनसंख्या का संकट गहरा गया है। जापान सरकार ने इसे शांत आपातकाल जैसी स्थिति (क्वाइट इमरजेंसी) कहा है।

जापान में कुल प्रजनन दर यानी एक महिला के अपने जीवनकाल में अपेक्षित बच्चे पैदा करने की औसत संख्या भी पिछले वर्ष की तुलना में 0.05 अंक कम हुई है। ये साल 1947 में सरकार के इस डेटा पर नजर रखने के बाद से सबसे निचला स्तर है। जापान में बीते कई साल से जनसंख्या घटती जा रही है। इससे जापान एक बूढ़े लोगों का देश बनता जा रहा है। जापानी प्रधान मंत्री शिगेरु इशिबा ने देश की एस जनसांख्यिकीय स्थिति को ‘एक मौन आपातकाल’ कहा है।

जापान में बच्चे पैदा नहीं कर रहे युवा

जापान में घटते जन्मों पर बात करते हुए सरकारी अधिकारी ने द असाही शिम्बुन को बताया कि युवाओं के विवाह और परिवार शुरू करने से बचने की कई वजह हैं। इसमें खासतौर से परिवार शुरू करने की इच्छा रखने वाले युवाओं के सामने आने वाली वित्तीय बाधाएं हैं। सरकार इस स्थिति को सुधारने के लिए बाल भत्ता और मुफ्त हाई स्कूल शिक्षा जैसे प्रोग्राम लेकर आई है। इसके बावजूद घटती जनसंख्या चुनौती बनी हुई है।

जापान में घटती और बूढ़ी होती आबादी अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण चुनौती बन गई है। जापान के लिए ये खतरा इसलिए ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि वह चीन और उत्तर कोरिया के संभावित खतरे के चलते अपनी सेना को मजबूत करने पर जोर दे रहा है लेकिन उसे सेना के लिए युवा ही नहीं मिल रहे हैं। जापान की घटती आबादी देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना पर बुरा असर डाल रही है।

जापान में और बढ़ेगा संकट!

जापान में आबादी का संकट दशकों पुराना है। जापान में प्रजनन दर करीब 50 साल से 2.1 के बिन्दु से नीचे है। एक्सपर्ट का कहना है कि जापान में 1973 की मंदी के बाद गिरी प्रजनन दर कभी भी स्थिर मार्क पर नहीं आ सकी। हाल के वर्षों में ये गिरावट तेज हो गई है। जापान में जन्मों से अधिक मौतों होने से कुल जनसंख्या घट रही है। इसके आने वाले वर्षों में भी जारी रहने का अमुमान है। इसका सीधा असर जापान की वर्कफॉर्स, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने पर होगा।

रिजवान

लेखक के बारे में

रिजवान

रिज़वान, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले से ताल्‍लुक रखते हैं। उन्‍होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और भारतीय जनसंचार संस्थान से पढ़ाई की है। अमर उजाला से पत्रकारिता की शुरुआत की। इसके बाद वन इंडिया, राजस्थान पत्रिका में काम किया। फिलहाल नवभारत टाइम्‍स ऑनलाइन में इंटरनेशनल डेस्‍क पर काम कर रहे हैं। राजनीति और मनोरंजन की खबरों में भी रूचि रखते हैं। डिजिटल जर्नलिज्म में काम का अनुभव करीब 8 साल है।… और पढ़ें

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