AdminUncategorized11 hours ago2 Views

नेपीता: पाकिस्तान के कुख्यात आतंकवादी मसूद अजहर का जैश-ए-मोहम्मद भारत के पड़ोसी देशों में तेजी से अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। हाल में ही खबर आई थी कि भारतीय युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए जैश ने बांग्लादेश में एक नेटवर्क खड़ा किया है। यह नेटवर्क बांग्लादेश के विश्वविद्यालयों और कट्टरपंथियों के सहयोग से भारत में मिशन को अंजाम देने की योजना बना रहा है। अब खबर है कि जैश ने अपनी मौजूदगी का विस्तार भारत के एक और पड़ोसी देश म्यांमार तक कर ली है। म्यांमार पहले से ही गृहयुद्ध से प्रभावित है। ऐसे में भारत को पूर्वी सीमा पर अब और अधिक चौकसी बरतनी पड़ेगी।

जैश की मौजूदगी का पता कैसे चला

रिसॉनेंट न्यूज की खबर के अनुसार, हाल के कम्युनिकेशन और तस्वीरों से पता चलता है कि म्यांमार में जैश-ए-मोहम्मद की मौजूदगी है, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा करती है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद की ओर से कथित तौर पर एक संचार में समूह की म्यांमार तक पहुंच को उजागर किया गया है, जिसमें दावा किया गया है कि एक म्यांमारी मुजाहिद ने नियुक्त अमीर (अरबी नाम वाला कमांडर या नेता) के अधीन काम करने के लिए म्यांमार लौटने से पहले पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद की बालाकोट फैसिलिटी में ट्रेनिंग लिया था।

आतंकियों की फंडिंग के लिए जैश ने दिए रुपये

संदेश में दावा किया गया है कि जैश-ए-मोहम्मद इन “म्यांमारी मुजाहिदीन” को समर्थन देने के लिए महत्वपूर्ण फंडिंग – लगभग 42 लाख रुपये (लगभग 50,000 अमेरिकी डॉलर) – मुहैया करा रहा है, जिन्हें “बेहद मजबूत” बताया गया है और कथित उत्पीड़कों के खिलाफ “क्रांतिकारी युद्ध” छेड़ने के लिए तैयार हैं। संदेश में आतंकवादी मसूद अजहर के नेतृत्व की प्रशंसा की गई है और म्यांमार में एक स्ट्रक्चर्ड ऑपरेशन का सुझाव दिया गया है, जिसमें स्थानीय रंगरूटों को जिहादी विचारधारा और युद्ध की रणनीति में प्रशिक्षित किया जाएगा।

रोहिंग्याओं को आतंकी बनाने पर फोकस

रिपोर्ट में बताया गया है कि म्यांमार में जैश-ए-मोहम्मद की भागीदारी में वंचित रोहिंग्या युवाओं को कट्टरपंथी बनाना, उनके हाशिए पर होने का फायदा उठाकर एक आतंकवादी नेटवर्क बनाना शामिल हो सकता है। जैश-ए-मोहम्मद का भारत में हाई-प्रोफाइल आतंकवादी हमलों को अंजाम देने का इतिहास रहा है, जिसमें 2001 में भारतीय संसद पर हमला, 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमला और 2019 में पुलवामा में बम विस्फोट शामिल है, जिसमें 40 भारतीय सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे। पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) द्वारा समर्थित और प्रशिक्षित यह समूह तालिबान, अल-कायदा और लश्कर-ए-तैयबा जैसे अन्य जिहादी संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध रखता है।

भारत की बढ़ेगी चिंता

म्यांमार में जैश-ए-मोहम्मद की मौजूदगी पूर्वी सीमा पर भारत के लिए चिंता बढ़ा सकती है। इसका प्रमुख कारण भारत-म्यांमार सीमा पर अस्थिर हालात का होना है। यह सीमा काफी हद तक खुली हुई है, जहां से हमेशा घुसपैठ की संभावना बनी रहती है। म्यांमार में अस्थिर हालात के कारण जैश-ए-मोहम्मद को पांव पसारने में मुश्किल भी नहीं होगी। पाकिस्तान पहले से ही पूर्वोत्तर के विद्रोही समूहों की मदद करता रहा है। ऐसे में अगर ये विद्रोही समूह फिर से सिर उठाते हैं तो हिंसा में वृद्धि होने का खतरा है।

प्रियेश मिश्र

लेखक के बारे में

प्रियेश मिश्र

नवभारत टाइम्स डिजिटल में डिजिटल कंटेंट राइटर। पत्रकारिता में दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, अमर उजाला जैसी संस्थाओं के बाद टाइम्स इंटरनेट तक 5 साल का सफर जो इंदौर से शुरू होकर एनसीआर तक पहुंचा है पर दिल गौतम बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर और गोरक्षनाथ की धरती गोरखपुर में बसता है। देश-विदेश, अंतरराष्ट्रीय राजनीति/कूटनीति और रक्षा क्षेत्र में खास रुचि। डिजिटल माध्यम के नए प्रयोगों में दिलचस्पी के साथ सीखने की सतत इच्छा।… और पढ़ें

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