AdminUncategorized2 days ago8 Views

नेपीडा: गृहयुद्ध से जूझ रहे म्यांमार के दुर्लभ खनिज तत्वों की खदानों (रेयर अर्थ माइन) पर चीन अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। चीन इसके लिए सीधेतौर पर म्यांमार में दखल ना देकर विद्रोही गुटों का इस्तेमाल कर रहा है। पूर्वी म्यांमार में चीनी के समर्थन वाली एक मिलिशिया यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी (UWSA) ने रेयर अर्थ माइन पर नियंत्रण किया हुआ है और उसके लड़ाके खदानों की सुरक्षा कर रही है। चीन के कठपुतली इस गुट के लड़ाकों की देखरेख में खदानों से कीमती दुर्लभ धातुएं निकाली जा रही हैं। इसका बड़ा आर्थिक फायदा चीन को मिल रहा है। वहीं म्यांमार में जिस तरह से चीन की आर्थिक और सैन्य दखल बढ़ रही है, वह भारत के लिए क्षेत्र की रणनीति के लिहाज से चुनौती बढ़ाने वाला हो सकता है। साथ ही वैश्विक व्यापार के लिहाज से भी नुकसान कर सकता है।

रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि म्यांमार की खदानों से निकाली जा रही धातुओं का इस्तेमाल चीन विश्व व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कर रहा है। कुछ समय पहले एक सशस्त्र गुट के उत्तरी म्यांमार के खनन क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद चीन की आपूर्ति में कमी आई थी। इस कमी को पूरा करने के लिए चीन ने पूर्वी म्यांमार के शान राज्य में नई खदानों पर नियंत्रण किया है। UWSA मिलिशिया समूह इन खदानों की सुरक्षा कर रहा है। UWSA को लंबे समय से चीन से समर्थन मिलता रहा है।

चीन का म्यांमार में दखल

दुर्लभ पृथ्वी धातुओं (रेयर अर्थ मेटल) का इस्तेमाल पवन टर्बाइन, मेडिकल उपकरण और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे महत्वपूर्ण सामान बनाने में होता है। चीन इन धातुओं के लिए म्यांमार पर निर्भर है। इस साल के पहले चार महीनों में चीन के लगभग आधे आयात म्यांमार से ही हुए थे। पूर्वी म्यांमार के शान राज्य की पहाड़ियों के बीच क खदानों में कम से कम 100 लोग दिन-रात काम कर रहे हैं। ये पहाड़ों की खुदाई और रसायनों का उपयोग करके खनिज निकाल रहे हैं।

म्यांमार के इस क्षेत्र के दो निवासियों ने बताया कि उन्होंने ट्रकों को खदानों से सामग्री ले जाते देखा है। ये ट्रक मंग हसत और मंग युन शहरों के बीच से गुजरते हुए 200 किलोमीटर दूर चीनी सीमा की ओर गए। रॉयटर्स ने वाणिज्यिक सैटेलाइट प्रदाताओं, प्लैनेट लैब्स और मैक्सार टेक्नोलॉजीज से मिली तस्वीरों का इस्तेमाल करके कुछ खदान स्थलों की पहचान की है। इनसे पता चलता है कि UWSA को मोहरा बनाकर चीन म्यांंमार की कीमतें धातु ले जा रहा है।

चीन और UWSA का रिश्ता

चीन की खदानों की सुरक्षा यूनाइटेड वा-स्टेट आर्मी (UWSA) गुट कर रहा है। UWSA शान राज्य के सबसे बड़े सशस्त्र समूहों में से एक है। यह गुट दुनिया की सबसे बड़ी टिन खदानों में से एक को भी नियंत्रित करता है। यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस का कहना है कि इस समूह के चीन के साथ लंबे समय से व्यावसायिक और सैन्य संबंध रहे हैं।

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के लेक्चरर पैट्रिक मीहान ने म्यांमार के दुर्लभ पृथ्वी उद्योग पर रिसर्च की है। उन्होंने शान खदानों की सैटेलाइट तस्वीरों की समीक्षा करने के बाद कहा कि मध्यम और बड़े आकार की ये खदानें देश में उत्तरी कचीन क्षेत्र के बाहर पहली महत्वपूर्ण खदानें हैं। कचीन से लेकर शान और लाओस के कुछ हिस्सों तक दुर्लभ पृथ्वी धातुओं का एक पूरा बेल्ट फैला हुआ है।

तगड़ा मुनाफा कमा रहा चीन

खनिज विश्लेषक डेविड मेरिमन ने रॉयटर्स के लिए मैक्सार की दो तस्वीरों की समीक्षा करते हुए कहा कि शान खदानों में बुनियादी ढांचे और कटाव के स्तर को देखकर लगता है कि ये खदानें कुछ समय से काम कर रही हैं। इनमें से एक खदान चीनी कंपनी ही चला रही है। लंदन स्थित बेंचमार्क मिनरल इंटेलिजेंस की नेहा मुखर्जी ने कहा कि चीनी खनन कंपनियां कम लागत और अस्थिर म्यांमार में भारी दुर्लभ पृथ्वी ऑक्साइड का उत्पादन दूसरे क्षेत्रों की तुलना में सात गुना सस्ता कर सकती हैं। इससे चीन को भारी मुनाफा हो रहा है।

दक्षिण पूर्व एशिया शांति संस्थान के वरिष्ठ फेलो म्यो हेन के अनुसार, म्यांमार की सेना के साथ UWSA का लंबे समय से युद्धविराम है। इसके बावजूद इस गुट के पास 30,000 से 35,000 लड़ाके हैं, जो चीन से मिले आधुनिक हथियारों से लैस है। UWSA बीजिंग के लिए म्यांमार-चीन सीमा पर रणनीतिक लाभ बनाए रखने और दूसरे सशस्त्र समूहों पर प्रभाव डालने के लिए काम करता है। ये सब चीन की म्यांमार में मजबूत होती उपस्थिति को दिखाता है।

रिजवान

लेखक के बारे में

रिजवान

रिज़वान, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले से ताल्‍लुक रखते हैं। उन्‍होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और भारतीय जनसंचार संस्थान से पढ़ाई की है। अमर उजाला से पत्रकारिता की शुरुआत की। इसके बाद वन इंडिया, राजस्थान पत्रिका में काम किया। फिलहाल नवभारत टाइम्‍स ऑनलाइन में इंटरनेशनल डेस्‍क पर काम कर रहे हैं। राजनीति और मनोरंजन की खबरों में भी रूचि रखते हैं। डिजिटल जर्नलिज्म में काम का अनुभव करीब 8 साल है।… और पढ़ें

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