Curated by: अभिजात शेखर आजाद|नवभारतटाइम्स.कॉम•
बीजिंग: चीन ने हाइपरसोनिक मिसाइलों की दुनिया में अमेरिका को बहुत पीछे छोड़ दिया है। चीन ने Feitian-2 हाइपरसोनिक वाहन का कामयाब परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। यह फ्लाइट टेस्ट ना सिर्फ तकनीकी रूप से अत्यंत मुश्किल रॉकेट बेस्ड कंबाइंड साइकिल (RBCC) इंजन पर आधारित है, बल्कि इसने हाइपरसोनिक उड़ानों के भविष्य के लिए नई संभावनाओं के दरवाजे भी खोल दिए हैं। RBCC टेक्नोलॉजी पर महारत हासिल करने की कोशिश पिछले कई सालों से कई देश करते आ रहे थे, लेकिन फिलहाल चीन मैदान मारता दिख रहा है। यह फ्लाइट टेस्ट नॉर्थवेस्टर्न पॉलिटेक्निकल यूनिवर्सिटी (NPU) की तरफ से उत्तरपश्चिमी चीन में एक साइट पर किया गया है। NPU की रिसर्च टीम ने कहा है कि यह परीक्षण केरोसिन-हाइड्रोजन पेरोक्साइड प्रपल्सस का इस्तेमाल करके RBCC इंजन के लिए वास्तविक-उड़ान डेटा के पहले सफल अधिग्रहण का प्रतिनिधित्व करता है।
RBCC इंजन, पारंपरिक रॉकेट इंजन और एयर-ब्रीदिंग रैमजेट का जबरदस्त संयोजन होता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है, जिससे ऑनबोर्ड ऑक्सीडाइजर की जरूरत घट जाती है। इससे वाहन का वजन कम हो जाता है और ईंधन खर्च होना भी कम हो जाता है। यानि इससे मिसाइल की कम ईंधन का इस्तेमाल करते हुए ज्यादा दूरी तक पहुंचने की क्षमता बढ़ जाती है। Feitian-2 में इस्तेमाल किया गया केरोसीन-हाइड्रोजन पेरॉक्साइड प्रणोदक सिस्टम एक नया प्रयोग है जो इसे लिक्विड ऑक्सीजन जैसी जटिल क्रायोजेनिक सिस्टम से आजाद करता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी को पूरी तरह से आजमाने के बाद इसका इस्तेमाल नागरिक और सैन्य, दोनों जरूरतों के लिए किया जा सकता है।
हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी की दुनिया में चीन की लंबी छलांग
चीन ने हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन भी डेवलप किए हैं, जिनमें DF-ZF भी शामिल है, जो DF-17 बैलिस्टिक मिसाइल के साथ इस्तेमाल किया जाने वाला एक हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन है। चीन ने 2021 में फ्रैक्शनल ऑर्बिटल बॉम्बार्डमेंट सिस्टम (FOBS) टेस्ट के दौरान DF-41 जैसी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) के साथ HGV का भी परीक्षण किया था। NPU ने शानक्सी प्रांत एयरोस्पेस और एस्ट्रोनॉटिक्स प्रोपल्शन रिसर्च इंस्टीट्यूट की भागीदारी के साथ इस परियोजना का नेतृत्व किया। चीन ने 2022 में Feitian-1 का टेस्ट किया था। लेकिन Feitian-2 में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गये हैं। इसमें रॉकेट के सिर के पास पंख, लंबे टेल फिन्स जोड़े गए हैं जिससे यह उड़ान के दौरान और ज्यादा स्थिर और नियंत्रित रहता है। यह डिजाइन हाई स्पीड और ऊंचाई पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। परीक्षण के दौरान यह वाहन विभिन्न फ्लाइट मोड्स में सफलतापूर्वक ट्रांजिशन करता रहा, जो कि हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक मानी जाती है।
Feitian-2 का टेस्ट चीन ने ऐसे समय किया है, जब वो पहले ही दुनिया के सबसे एडवांस्ड हाइपरसोनिक सिस्टमों में से कई को अपने सैन्य बेड़े में शामिल कर चुका है। चीन के पास अब DF-100, YJ-21 (Anti-ship ballistic missile), Starry Sky-2, Lingyun-1 और DF-ZF glide vehicle, जिसे DF-17 मिसाइल से जोड़ा गया है, जैसे हथियार हो गये हैं। चीन ने 2021 में Fractional Orbital Bombardment System (FOBS) के तहत इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल DF-41 से भी हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन का परीक्षण किया था। ये सभी सिस्टम अमेरिका के डिफेंस सिस्टम को ध्वस्त करने के लिए बनाए गये है।
चीन की इस कामयाबी ने अमेरिका की नींद उड़ा दी होगी। हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी में चीन ने जबरदस्त कामयाबियां हासिल की हैं। अमेरिका और रूस पिछले कई सावों से combined-cycle इंजन डेवलप करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक दोनों नाकाम रहे हैं। ऐसे में Feitian-2 के टेस्ट से यह स्पष्ट है कि चीन अब हाइपरसोनिक इंजन डिजाइन में व्यवहारिक डेटा जमा करने की स्थिति में पहुंच गया है, जिसका मतलब है की चीन इस क्षेत्र में लीडरशिप की पॉजिशन में पहुंच चुका है।
लेखक के बारे मेंअभिजात शेखर आजादअभिजात शेखर आजाद, बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की है और पिछले 15 सालों से ज्यादा वक्त से पत्रकारिता के क्षेत्र में हैं। ज़ी मीडिया समेत कई नामी संस्थानों काम कर चुके हैं। जियो-पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर में काम करने का लंबा अनुभव है। NBT में दुनिया डेस्क पर कार्यरत हैं और इंटरनेशनल पॉलिटिक्स और डिफेंस सेक्टर पर लिखते हैं।… और पढ़ें