औरंगाबाद: पशुधन के बीमा दावा भुगतान में एक किसान की चप्पल कैसे घिस जाती है, ये खबर उसकी जीती जागती बानगी है। पशु का बीमा कराने वाले ने गाय के मरने के बाद जब इंश्योरेंस क्लेम किया तो बीमा कंपनी ने नोटिस ही नहीं लिया। इसके बाद जब बीमा कंपनी को वकालतन नोटिस भेजा गया, तो इसकी भी अनदेखी हुई। तब थक हारकर पीड़ित ने उपभोक्ता अदालत की शरण ली। इसके बाद पांच साल चली अदालती कार्रवाई के बाद बीमा कंपनी ने पीड़ित को बीमा दावा राशि का भुगतान किया। मामला औरंगाबाद के तेंदुआ पोखर निवासी महेंद्र प्रसाद से जुड़ा है।
गाय की बीमा को 5 साल लटकाए रखा कंपनी ने
मामले में उपभोक्ता अदालत के सदस्य बद्रीनारायण सिंह ने मंगलवार को उपभोक्ता अदालत वाद संख्या-07/20 में वाद के सूचक महेंद्र प्रसाद को ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा क्लेम के रूप में दिए गए 83,833 रूपये का चेक सौंपा। इस अवसर पर सूचक के अधिवक्ता जगनारायण सिंह भी मौजूद रहे।
5 साल बाद मिला गाय की मौत का क्लेम
अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि वाद के सूचक ने बैंक से लोन लेकर शिवगंज बाजार से 45 हजार रूपये में एक गाय खरीदी थी। उसने बीमा कंपनी से गाय का बीमा भी कराया था। बीमा अवधि के बीच गाय के मर जाने पर इसकी सूचना बीमा कंपनी को दी गई, लेकिन कंपनी ने संज्ञान नहीं लिया। इस पर सूचक ने मृत गाय का पोस्टमार्टम कराया। इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट, गाय के कान पर लगी बीमा कंपनी के टैग के साथ अपने अधिवक्ता के माध्यम से बीमा कंपनी को वकालतन नोटिस भेजा। वकालतन नोटिस की भी बीमा कंपनी ने अनदेखी की।
उपभोक्ता अदालत से मिला इंसाफ
इसके बाद थक हारकर उसने न्याय के लिए जिला उपभोक्ता अदालत की शरण ली और वाद दाखिल किया। वाद में छह माह पूर्व उपभोक्ता अदालत ने सूचक के पक्ष में फैसला सुनाया। उपभोक्ता अदालत के अध्यक्ष संजय सिंह और सदस्य बद्रीनारायण सिंह ने बीमा कंपनी को क्लेम देने का आदेश दिया। तब जाकर छः महीने बाद बीमा कंपनी ने उपभोक्ता अदालत ने क्लेम का चेक दिया, जिसे अदालत द्वारा आज बीमित को प्रदान किया गया।