बांग्लादेश कर सकता है म्यांमार पर हमला, तारीख तय, अमेरिका से मिला ईसाई देश बनाने का सिग्नल! क्या कर

AdminUncategorized1 month ago30 Views

ढाका: मई 2024 की बात है, जब बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के एक बयान ने दक्षिण एशिया में हलचल मचा दी थी। शेख हसीना ने दावा किया था कि बांग्लादेश और म्यांमार के बीच पूर्वी तिमोर जैसा ईसाई देश बनाने की कोशिश हो रही है। इसके साथ ही बताया कि उन्हें बांग्लादेशी क्षेत्र में विदेशी एयरबेस बनाने की अनुमति देने की मांग की गई थी, और वादा किया गया था कि ऐसा करने पर उन्हें बिना किसी परेशानी के शासन करने दिया जाएगा। हालांकि, हसीना ने उस देश का नाम नहीं बताया, लेकिन प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह एक व्हाइट मैन (गोरे व्यक्ति) की तरफ से आया था। हसीना ने दावा किया था कि वो ऐसा नहीं होने देंगी। लेकिन इस बयान के बाद सिर्फ चार महीने में ही ऐसे हालात बने कि हसीना को न सिर्फ प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी, बल्कि आनन-फानन में देश छोड़कर भागना पड़ा।

हसीना के बयान के महज एक साल के भीतर ही बंगाल की खाड़ी में वो ग्रेट गेम शुरू हो गया है, जिसकी उन्होंने आशंका जताई थी। कभी जिस बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में शेख हसीना ने जिस खेल को रोकने का वादा किया था, आज उसी बांग्लादेश की सेना खेल की सबसे प्रमुख खिलाड़ी बन चुकी है। ये पूरा खेल अमेरिका के इशारे पर हो रहा है। अमेरिका के ग्रेट गेम में तीन और खिलाड़ी हैं। ये तीनों वो हैं, जो कभी एक दूसरे के दुश्मन थे, लेकिन अब अमेरिका की अगुवाई में ये सब एक साथ लड़ेंगे।

Bangladesh Myanmar Rakhine war

भारत के पड़ोस में नया देश

ये सारी योजना भारत के बिल्कुल पड़ोस में एक नया देश बनाने की है, जो म्यांमार के रखाइन प्रांत से शुरू होगा। इस योजना में सबसे बड़ी बाधा बन रही शेख हसीना अब बांग्लादेश के परिदृश्य से गायब हैं। उनकी जगह मोहम्मद यूनुस को बिठाया गया है, जिनकी छवि अमेरिका के पिछलग्गू से ज्यादा नहीं है। मोहम्मद यूनुस अमेरिकी योजना का हिस्सा हैं और इसमें बांग्लादेश की आर्मी अमेरिका की मदद करेगी। लेकिन मामला इतना सीधा नहीं है। म्यांमार की जुंटा के चीन और रूस से अच्छे रिश्ते हैं। चीन के बेल्ट एंट रोड इनिशिएटिव में म्यांमार शामिल है, तो जुंटा के पास रूसी लड़ाकू जेट और दूसरे हथियार हैं। यही वजह है कि पिछले दिनों जहां मोहम्मद यूनुस चीन गए थे, ठीक उसके बाद बांग्लादेश आर्मी चीफ रूस के दौरे पर गए थे। रिपोर्ट बताती हैं कि बांग्लादेश चीन और रूस को म्यांमार में शुरू होने वाले सैन्य अभियान के बारे में समझाना चाहता है।

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बांग्लादेश की सेना को किया जा रहा तैयार

बांग्लादेश की तीन डिवीजन इस सैन्य अभियान का हिस्सा बनने को तैयार हैं- 10वीं डिवीजन, 17 डिवीजन और 24 डिवीजन। बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में ड्रोन के लिए बेस तैयार किया जा रहा है। इसके साथ ही बंगाल की खाड़ी से लगे बांग्लादेश के टेकनाफ में सिलखाली के पास आर्टिलरी की पूरी यूनिट तैयार की जा रही है। सिलखाली को इसलिए चुना गया है, क्योंकि यहां पहले से ही बांग्लादेश आर्मी का अड्डा है। इस जगह पर आर्टिलरी और एंटीजीएम (एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल) तैनात करने की योजना है। अगर म्यांमार की आर्मी आगे बढ़ती है तो उसको काउंटर करने के लिए एक हैवी आर्टिलरी सेंटर भी तैयार किया जा रहा है। बांग्लादेश और म्यांमार के बीच सीमा बनाने वाली नाफ नदी के बाद एक बड़ा अमेरिकी सप्लाई और लॉजिस्टिक डिपो तैयार किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक यह सप्लाई डिपो 11,000 हेक्टेयर से बड़ा है।

अमेरिका के इशारे पर शुरू हो चुका है खेल

यह सारी योजना म्यांमार चिन और रखाइन राज्य को काटकर एक अलग देश बनाने की है। इसके लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू हो चुका है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रमुख अधिकारी हाल ही में ढाका पहुंचे थे। उसी समय अराकान आर्मी और चिन नेशनल फ्रंट के प्रतिनिधि भी ढाका के सेफ हाउस में मौजूद थे। जिन तीन अमेरिकी अधिकारियों के साथ म्यांमार के विद्रोही गुटों की बात हुई, उनमें नेपीडॉ में अमेरिकी प्रभारी सुसान स्टीवेंसन और दक्षिण और मध्य एशिया और पूर्व एवं पूर्वी एशिया के लिए दो सहायक विदेश सचिव शामिल हैं। इसके बाद 20 अप्रैल को बांग्लादेश के डायरेक्टर जनरल ऑफ फोर्सेज इंटेलिजेंस (DGFI) के महानिदेशक मेजर जनरल जहांगीर आलम वॉशिंगटन के लिए रवाना हुए, जहां उनके सीआईए अधिकारियों के रखाइन योजना के बारे में अपडेट करना है।

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भारत को भी रहना होगा सचेत

म्यांमार में हो रहे घटनाक्रम का भारत से सीधा संबंध है। जिन दो राज्यों को मिलाकर नया देश बनाया जाना है, उनमें से चिन स्टेट की सीमा पूर्वोत्तर भारत के मिजोरम और मणिपुर राज्य से मिलती है। अभी तक नई दिल्ली की तरफ से इन घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रया भले नहीं आई है, लेकिन सवाल है कि क्या भारत लंबे समय तक इससे आंखें फेर सकता है।

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डिफेंस एनालिस्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) जेएस सोढ़ी ने नवभारत टाइम्स के साथ बात करते हुए कहा, ‘ये मसला बांग्लादेश और म्यांमार के बीच का है। भारत का किसी तरह से हस्तक्षेप करना सही नहीं है। ये म्यांमार का अंदरूनी मामला है।’ सोढ़ी इसमें भारत के लिए सबक बताते हैं। म्यांमार के क्रांतिकारी नेता आंग सान (आंग सान सू की के पिता) का एक बयान का जिक्र करते हुए सोढ़ी ने बताया कि म्यांमार एक ऐसा देश है, जिसमें अनेकता में एकता है। 1948 में आजादी मिलने के बाद 14 साल तक बर्मा की अनेकता में एकता से खिलवाड़ नहीं हुआ, लेकिन 1962 में पहली बार फौज ने वहां सत्ता हड़प ली। उसने देश की डायवर्सिटी से छेड़छाड़ करना शुरू कर दिया। उसका नतीजा यह है कि आज म्यांमार टूटने के कगार पर है।

रक्षा विशेषज्ञ सोढ़ी का कहना है कि ‘बांग्लादेश रखाइन को तोड़कर नया देश बनाए या न बनाए, ये तो वक्त बताएगा, लेकिन म्यांमार में जिस तरह से गृहयुद्ध चल रहा है, वो दिन दूर नहीं जब म्यांमार छोटे देशों में टूट जाएगा। भारत में भी अनेकता में एकता है। ऐसे में भारत को इससे सबक लेना चाहिए।’ हालांकि, बांग्लादेश की भूमिका को केवल अमेरिका तक ही रखना सही नहीं होगा। मोहम्मद यूनुस अमेरिका के साथ ही चीन को भी साधना चाह रहे हैं। हाल ही में उनका चीन दौरा और वहां भारत के चिकेन नेक पर दिया गया बयान इसका सीधा उदाहरण है।

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भारत के लिए एक जरूरी विकल्प

भले ही भारत इस पूरे मामले में सीधे हस्तक्षेप न करे, लेकिन उसे नजर बनाए रखनी होगी। म्यांमार के साथ वर्तमान में भारत के अच्छे संबंध हैं, लेकिन नए देश के उदय के बाद यह एक अलग चुनौती होगी। म्यांमार के क्षेत्र में स्थिरता पूर्वोत्तर भारत के लिए जरूरी है, जहां उसके चार राज्यों की सीमा लगती है। एक बात और ध्यान देनी होगी कि अभी हमारी बांग्लादेश के साथ स्थिति ठीक नहीं चल रही है। म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह के रास्ते भारत के लिए पूर्वोत्तर राज्यों तक पहुंचने का एक विकल्प बना रहता है। ऐसे में क्षेत्र में एक युद्ध शुरू होता है, तो भारत को सावधान रहना होगा। भारत के लिए यह जरूरी है कि उसके पड़ोसी स्थिर रहें और उसके साथ रहें।

विवेक सिंह

लेखक के बारे में

विवेक सिंह

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जनपद से ताल्लुक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई के बाद अमर उजाला डिजिटल के साथ करियर की शुरुआत की. अमर उजाला के बाद न्यूज 18 यूपी/उत्तराखंड, आवाज न्यूज वीडियो एप, वन इंडिया और एबीपी न्यूज डिजिटल में काम किया. वर्तमान में नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में इंटरनेशनल डेस्क पर कार्यरत हूं. देश की राजनीति पर भी लिखने में रुचि है.… और पढ़ें

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