kisded kisdedUncategorized5 days ago17 Views

इस्लामाबाद: पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत पिछले कुछ समय से अलगाववादी समूहों की हिंसा के चलते सुर्खियों में रहा है। लेकिन इसी बलूचिस्तान में हिंदुओं की आस्था का केंद्र एक प्रसिद्ध सिद्ध पीठ भी मौजूद है। बलूचिस्तान की तपती वादियों में मौजूद हिंगलाज देवी मंदिर वह जगह है जहां पाकिस्तान का सबसे बड़ा सालाना हिंदू उत्सव मनाया जाता है। यह आमतौर पर अप्रैल के मध्य में होता है। पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू अल्पसंख्यक यहां आने के लिए ऊबड़-खाबड़ इलाकों से होते हुए सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करते हैं। अमर फकीरा भी उन लोगों में हैं, जिन्होंने इस बार हिंगलाज भवानी के दर्शन किए।

कराची के रहने वाले अमर फकीरा के तीन साल के बेटे के पैर में पिछले साल अचानक हरकत बंद हो गई। डॉक्टरों भी कोई भरोसा नहीं दे पा रहे थे, तभी फकीरा ने एक मन्नत मांगी कि बेटा ठीक हो गया तो हिंगलाज देवी मंदिर में लगभग 320 किलोमीटर की तीर्थयात्रा करेगा। एक साल बाद जब बच्चे को ताकत हासिल हुई, तो फकीरा ने अप्रैल के अंत में मंदिर की सात दिवसीय पैदल यात्रा शुरू की।

हिंदू आस्था का प्रतीक हिंगलाज मंदिर

हिंगलाज मंदिर की तीर्थयात्रा पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों की आस्था का प्रतीक है। पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग 40 लाख है, जो देश की कुल जनसंख्या का महज 2 प्रतिशत हैं। हिंदुओं को पाकिस्तान में अक्सर दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है। उनके साथ आवास, नौकरी और सरकारी कल्याण कार्यों में भेदभाव किया जाता है। हिंदू लड़कियों के अपहरण और उन्हें जबरन धर्मांतरण की खबरें आये दिन आती रहती हैं। ऐसे माहौल में भी हिंदू अपनी आस्था को बचाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।

पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए यात्रा का महत्व

कई लोगों को लिए हिंगलाज देवी की तीर्थयात्रा का महत्व इस्लाम में हज के बराबर है। भारत के हिंदुओं में भी इस यात्रा को करने की इच्छा बहुत ज्यादा है, लेकिन भारतीयों के लिए पाकिस्तान की यात्रा करने के लिए वीजा हासिल करना मुश्किल है। पाकिस्तान की सीमा से लगे राज्यों में हिंगलाज देवी से गहरा आध्यात्मिक संबंध है।

आज भी पैदल यात्रा करते हैं हजारों

20वीं सदी के अधिकांश समय तक हिंगलाज देवी मंदिर तक पहुंचना संभव नहीं था। तीर्थयात्रा ने 1990 के दशक में गति पकड़ी। 2000 के दशक की शुरुआत में मकरान कोस्टल हाईवे के निर्माण ने मंदिर तक अभूतपूर्व पहुंच प्रदान की। अब यात्रा का अधिकांश हिस्सा वाहन से करना संभव हो गया था, जिससे मुश्किलें कम हुईं। बावजूद इसके, आज भी हजारों लोग पैदल यात्रा जारी रखते हैं। फकीरा भी उन्हीं लोगों में हैं, जो पैदल यात्रा को देवी की असली आराधना मानते हैं।

मंदिर से जुड़ी है मान्यता

मान्यता है कि हिंगलाज देवी से जो भी मन्नत मांगी जाए, वो पूरी होती है। यही वजह है कि कोई पुत्र की कामना के लिए यात्रा करता है, तो को परिवार की सलामती के लिए घर से मंदिर के लिए निकलता है। हिंगलाज देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब देवी सती ने आत्मदाह कर लिया था, तो उनके अवशेष जिन जगहों पर गिरे थे, उनमें यह स्थान भी था। हिंगलाज मंदिर एक प्राकृतिक गुफा के भीतर स्थित है। इस परिसर में चार मंदिर हैं, जिनमें सबसे अधिक पूजनीय नानी मंदिर है। मंदिरों तक पहुंचने के बाद, भक्त सात पहाड़ों को पार करके घंटों लंबी कठिन चढ़ाई करके तीर्थयात्रा पूरी करते हैं और वापस मंदिर में पूजा करने के लिए लौटते हैं।

विवेक सिंह

लेखक के बारे में

विवेक सिंह

उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जनपद से ताल्लुक, इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई के बाद अमर उजाला डिजिटल के साथ करियर की शुरुआत की. अमर उजाला के बाद न्यूज 18 यूपी/उत्तराखंड, आवाज न्यूज वीडियो एप, वन इंडिया और एबीपी न्यूज डिजिटल में काम किया. वर्तमान में नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में इंटरनेशनल डेस्क पर कार्यरत हूं. देश की राजनीति पर भी लिखने में रुचि है.… और पढ़ें

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