तेल अवीव/नई दिल्ली: पाकिस्तान से संघर्ष के बाद भारत को इस महीने के अंत तक नये फाइटर जेट्स मिलने जा रहे हैं। वायुसेना को इस महीने के अंत तक हल्के लड़ाकू विमान तेजस (HAL Tejas) का नया वैरिएंट मिलने जा रहा है, जो इजरायली टेक्नोलॉजी से लैस है। तेजस लड़ाकू विमानों की डिलीवरी दो साल ही होने वाली थी, लेकिन अमेरिकी इंजन मिलने में देरी की वजह से फाइटर जेट्स की डिलीवरी नहीं हो पा रही थी। पाकिस्तान के साथ हालिया संघर्ष के बाद लड़ाकू विमानों की कमी को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। नये लड़ाकू विमानों के मिलने से ना सिर्फ भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होगा, बल्कि इजरायली टेक्नोलॉजी ने विमानों की क्षमता को काफी ज्यादा बढ़ा दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक तेजस A1 वैरिएंट की पहली खेप को दो साल पहले ही डिलीवर किया जाना था। लेकिन अमेरिकी जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी द्वारा बनाए गए F404 इंजन की आपूर्ति में देरी की वजह से इसका निर्माण टलता रहा। कुछ समय के लिए इजरायली कंपनियों को भी सिस्टम डिलीवरी में देरी का दोषी ठहराया गया था। लेकिन अब सभी बाधाएं दूर हो चुकी हैं।
भारतीय वायुसेना के पास मौजूदा समय में सिर्फ 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन ही हैं, जबकि तय स्टैंडर्ड के मुताबिक भारत के पास हर हाल में 42 लड़ाकू स्क्वाड्रन होने चाहिए। तेजस A1 वैरिएंट काफी एडवांस लड़ाकू विमान है और इसे ‘वेस्टर्न स्टैंडर्ड’ के करीब माना जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसका रडार सिस्टम। इस वेरिएंट में इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज की कंपनी एल्टा की तरफ से बनाए गए AESA (Active Electronically Scanned Array) रडार लगाया गया है, जो पहले इस्तेमाल होने वाले इजरायली मैकेनिकल रडार से कहीं ज्यादा सटीक और शक्तिशाली है।
इजरायल ने तेजस जेट को बनाया बहुत घातक
जेरूशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक शुरूआत में जिन 83 तेजस फाइटर जेट बनाए जा रहे हैं, उन सभी में करोड़ों की लागत वाले इजरायली सिस्टम्स इंटीग्रेट किए जा रहे हैं। इजरायली कंपनी ने ये सिस्टम भारत के ‘मेक इन इंडिया’ नीति की तहत बनाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि तेजस A1 वैरिएंट में अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम शामिल किया गया है, जिससे यह विमान दुश्मन की रडार और मिसाइल को बेअसर करने में सक्षम होगा। इसे भी इजरायली कंपनी एल्टा ने ही अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बनाया है। इसके अलावा, पायलट्स को हेलमेट-माउंटेड साइट मिलेगा, यानि वो किसी टरगेट को अपनी आंखों से सिग्नल देकर मार सकेंगे। इसे भी एल्टा ने ही बनाया है। तेजस A1 वैरिएंट में इजरायली रफायल कंपनी की Derby रडार-गाइडेड मिसाइलें तैनात की जाएंगी। खास बात यह है कि इन सभी सिस्टम्स को भारत में ही स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी में बनाया गया है।
भारत इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर को अत्यंत मजबूत बना रहा है। भारत का इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर पहले से ही एडवांस था और इसी से भारत ने पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान चीने के कम से कम 8 पीएल-15 मिसाइलों को बेअसर कर दिया था। इसके अलावा पाकिस्तानी रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को मारने में भी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर ने अहम भूमिका निभाई थी। तेजस फाइटर जेट्स में ज्यादातर एडवांस इजरायली एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। इजरायली वायुसेना के विमान भी अमेरिकी रडार का इस्तेमाल करते हैं इसलिए इजरायली रडार भी अमेरिकी रडार की तर्ज पर ही बनाए जाने की संभावना है, जिससे आप इसकी क्षमता को जान सकते हैं। ये भारत और इजरायल के बीच मजबूत डिफेंस पार्टनरशिप को दिखाता है।
इसके अलावा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अब तेजस के अगले वैरिएंट ‘तेजस Mk2’ पर काम कर रहा है। यह नया वर्जन अत्यधिक रेंज, बेहतरीन युद्ध क्षमता और ‘कनार्ड विंग्स’ जैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। इसके लिए पहले से ही इजरायल, फ्रांस और अमेरिका की कंपनियां HAL के साथ साझेदारी के लिए बातचीत कर रही हैं। तेजस Mk2 टेक्नोलॉजी और एडवांस लड़ाकू विमानों की कैटोगिरी में फ्रांसीसी राफेल के बराबर होगा।