भारत की जीडीपी से ज्यादा तेज है योग के कारोबार की रफ्तार, ये आंकड़े देख रह जाएंगे दंग

AdminUncategorized15 hours ago8 Views

नई दिल्ली: अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस ने भारत के योग उद्योग को दुनियाभर में पहचान दिलाई है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत फायदा हुआ है। योग अब सिर्फ एक पुरानी परंपरा नहीं है। यह एक बहुत बड़ा कारोबार बन गया है। अनुमान है कि यह कारोबार कई हजार करोड़ रुपये का है। इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। योग का बाजार पूरी दुनिया में फैला हुआ है। भारत भी इसमें एक बड़ा हिस्सा है। योग की ट्रेनिंग और इससे जुड़े सामानों की बिक्री से यह बाजार और भी बड़ा हो गया है। सरकार भी योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इससे इस उद्योग को और भी मजबूती मिल रही है।

दुनियाभर में योग का बाजार बहुत बड़ा है। 2023 तक यह बाजार लगभग 45 अरब से 60 अरब डॉलर का था। रुपये में यह लगभग 3.7 लाख करोड़ से 5 लाख करोड़ रुपये होता है। अनुमान है कि 2030 तक यह बाजार 100 अरब डॉलर से भी ज्यादा का हो जाएगा। यानी लगभग 8.3 लाख करोड़ रुपये। हर साल इसमें 9-10% की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार से काफी ज्यादा है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2024-25 में 6.5% से 7.5% के आसपास रहने का अनुमान है।

योग उद्योग में कई सेक्‍टर

भारत योग का जन्मस्थान है। इसलिए, यह दुनिया के योग बाजार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में योग उद्योग का मूल्य कई हजार करोड़ रुपये है। यह लगभग 1.5 अरब डॉलर से 2.5 अरब डॉलर है। रुपये में यह 12,000 करोड़ से 20,000 करोड़ रुपये होता है। इस आंकड़े में योग स्टूडियो, ट्रेनिंग सेंटर, योग से जुड़े उत्पाद और वेलनेस पर्यटन शामिल हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत का वेलनेस उद्योग लगभग 490 अरब डॉलर का था। योग इसमें एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अनुमान है कि यह 12% की दर से बढ़ेगा।

भारत में योग सिखाने वाले और ट्रेनिंग देने वाले बहुत सारे सेंटर हैं। ऋषिकेश जैसे शहरों में सैकड़ों योग स्कूल हैं। यहां हर साल लाखों छात्र योग सीखते हैं। इनमें बहुत से विदेशी छात्र भी शामिल होते हैं। योग शिक्षक ट्रेनिंग (YTT) कार्यक्रम की फीस 30,000 रुपये से 1,50,000 रुपये या इससे भी ज्यादा हो सकती है। इससे इस क्षेत्र में बहुत पैसा आता है।

कोरोना महामारी के बाद ऑनलाइन योग प्लेटफॉर्म बहुत तेजी से बढ़े हैं। कुछ बड़े भारतीय और अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म पर लाखों लोग योग सीखते हैं। योग मैट, कपड़े और अन्य सामान का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय और विदेशी ब्रांड इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। भारत में योग मैट का बाजार कई सौ करोड़ रुपये का है। योग के कपड़ों का बाजार भी बढ़ रहा है। आजकल एथलेजर (athletic leisure wear) का चलन बढ़ गया है।

वेलनेस टूर‍िज्‍म का बड़ा केंद्र बन रहा भारत

भारत वेलनेस पर्यटन के लिए एक बड़ा केंद्र बन रहा है। ‘आयुष’ (AYUSH) क्षेत्र सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें योग भी शामिल है। सरकार का लक्ष्य 2025 तक आयुष क्षेत्र को 230 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। योग पर्यटन इसमें बहुत मदद करेगा। हर साल हजारों विदेशी पर्यटक योग सीखने और रिट्रीट में भाग लेने के लिए भारत आते हैं। इससे देश में विदेशी मुद्रा आती है।

भारत सरकार का आयुष मंत्रालय योग को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। यह मंत्रालय योग से जुड़े रिसर्च, शिक्षा और प्रचार पर बहुत पैसा खर्च करता है। 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र की ओर से शुरू किया गया था। इसके बाद से योग की लोकप्रियता बहुत बढ़ गई है। इसका सीधा असर योग के कारोबार पर भी पड़ रहा है।

योग प्रमाणन बोर्ड (YCB) योग्य योग शिक्षकों को प्रमाणित करता है। इससे योग सिखाने वाले संस्थानों की गुणवत्ता अच्छी रहती है। इससे योग उद्योग को और भी ज्यादा विश्वसनीयता मिलती है।

अमित शुक्‍ला

लेखक के बारे में

अमित शुक्‍ला

पत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की। टाइम्‍स इंटरनेट में रहते हुए नवभारतटाइम्‍स डॉट कॉम से पहले इकनॉमिकटाइम्‍स डॉट कॉम में सेवाएं दीं। पत्रकारिता में 15 साल से ज्‍यादा का अनुभव। फिलहाल नवभारत टाइम्स डॉट कॉम में असिस्‍टेंट न्‍यूज एडिटर के रूप में कार्यरत। टीवी टुडे नेटवर्क, दैनिक जागरण, डीएलए जैसे मीडिया संस्‍थानों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों के साथ भी काम किया। इनमें शिमला यूनिवर्सिटी- एजीयू, टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा) शामिल हैं। लिंग्विस्‍ट के तौर पर भी पहचान बनाई। मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी और लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज समेत कई अन्य भाषा समाधान प्रदान करने वाले संगठनों के साथ फ्रीलांस काम किया। प्रिंट और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म में समान रूप से पकड़। देश-विदेश के साथ बिजनस खबरों में खास दिलचस्‍पी।… और पढ़ें

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