अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में उस समय बड़ा सियासी भूचाल आ गया, जब अपना दल (एस) की अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अपने ही पति आशीष पटेल का डिमोशन कर दिया। पार्टी अध्यक्ष ने आशीष पटेल को पार्टी में तीसरे नंबर का नेता बना दिया है। अपना दल एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके आशीष पटेल मौजूदा समय में कार्यकारी अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। अब उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। हालांकि, अनुप्रिया पटेल के इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं चलने लगी हैं, लेकिन इसे अनुप्रिया पटेल की नई रणनीति का हिस्सा मना जा रहा है।
दरअसल, गुरुवार को अपना दल एस के राष्ट्रीय सचिव मुन्नर प्रजापति की ओर से नई पदाधिकारियों की सूची जारी की गई है, जिसमें आशीष पटेल का नाम तीसरे नंबर पर दर्ज है। सबसे पहले माता बदल तिवारी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बताया गया है। इस लिस्ट में अन्य नेताओं को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। फिलहाल यह बदलाव सिर्फ औपचारिक नहीं है, बल्कि इसका सियासी मतलब भी निकाला जा रहा है। पार्टी में अब आशीष पटेल पहले जैसे प्रभावशाली नहीं रहे। वहीं, इस निर्णय से साफ हो गया है कि पार्टी के भीतर जारी अंतर्कलह और बढ़ती बगावत को शांत करने के लिए अनुप्रिया पटेल ने अब परिवार से ऊपर पार्टी का संदेश देने की रणनीति अपनाई है।
यह पहला मौका है, जब अनुप्रिया पटेल ने पार्टी के अंदर अपने ही परिवार के सदस्य पर इतना बड़ा फैसला लिया है। जानकार मानते हैं कि पार्टी के भीतर उठती असहमति की आवाज़ों, भ्रष्टाचार के आरोपों और संगठन के कमजोर होते ढांचे को देखते हुए अनुप्रिया पटेल ने अब इमेज कंट्रोल में जुटी हैं। पति और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल पर कुछ समय पहले उनकी ही साली और सपा विधायक पल्लवी पटेल ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। वहीं, पार्टी के ही एक और वरिष्ठ नेता ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह ने तीन दिन पहले बगावत कर अपना मोर्चा नाम से अलग मंच बना लिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि आशीष पटेल का डिमोशन पार्टी को एकजुट करने की रणनीति हो सकती है। अनुप्रिया पटेल शायद यह दिखाना चाहती हैं कि संगठन में कोई भी व्यक्ति आरोपों और विवादों से ऊपर नहीं है, चाहे वो उनके पति ही क्यों न हों। इसके जरिए वह अपने ऊपर बढ़ते दबाव को कम करना चाहती हैं और बगावती सुरों को जवाब देना चाहती हैं। वहीं, आशीष पटेल का तीसरे पायदान पर खिसकना सिर्फ एक पद की अदला-बदली नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत है। पार्टी में अब सब बराबर हैं और जवाबदेही हर किसी की है।
लेखक के बारे मेंविवेक मिश्राजन्मस्थली बाराबंकी है और कर्मस्थली तीन राज्य के कई शहर रहे हैं। 2013 में प्रिंट मीडिया से करियर की शुरुआत की। मप्र जनसंदेश, पत्रिका, हिंदुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण होते हुए नवभारत टाइम्स के साथ डिजिटल मीडिया में कदम रखा।… और पढ़ें