NCR में 3 महिलाओं की हैवानियत से सनसनी, अगला शिकार कौन?

IO_AdminUncategorized2 days ago21 Views

Curated by: धर्मेंद्र कुमार|नवभारतटाइम्स.कॉम

दिल्ली पुलिस ने जो गैंग पकड़ा है, उसकी सरगनाओं में फरीदाबाद की एक नर्स, बंगाल की से आई महिला और दिल्ली की एक अकाउंटेंट शामिल हैं, जो मिलकर अपना धंधा चला रहीं थी।

delhi kidnapping racket
AI Image

नई दिल्ली: दो दिन की झमाझम बारिश के बाद चिलचिलाती गर्मी का उमस भरा दिन, तारीख 3 जुलाई और साल 2023। एनसीआर में कांवड़ मेले की गहमागहमी जोरों पर थी और हरियाणा की फरीदाबाद पुलिस कांवड़ियों के लिए रूट मैप तैयार करने में जुटी थी। इसी हलचल के बीच पुलिस को खबर मिलती है कि फरीदाबाद टोल प्लाजा के पास करीब 2-3 साल का एक बच्चा लावारिस हालत में मिला है। तुरंत मौके पर पुलिस की पीसीआर पहुंचती है और बच्चे को अपनी निगरानी में लेने के बाद, उसके परिजनों की तलाश शुरू हो जाती है।

आसपास के जिलों और थानों में बच्चे की तस्वीर भेजकर, इस बात का पता लगाया जाता है कि कहीं कोई गुमशुदगी की रिपोर्ट तो दर्ज नहीं कराई गई? पुलिस की कोशिश रंग लाती है और पता चलता है कि दो दिन पहले ही नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक बच्चा अपने माता-पिता से बिछड़ गया था। कागजी कार्रवाई के बाद बच्चे को उसके मां-बाप को सौंप दिया जाता है। उस वक्त किसी ने नहीं सोचा था कि जिसे गुमशुदगी का मामला समझा जा रहा है, वह एक किडनैपिंग थी और इस बच्चे को पूरी प्लानिंग के तहत नई दिल्ली से फरीदाबाद लाया गया था।

दो साल बाद इस सच्चाई का खुलासा उस वक्त हुआ, जब दिल्ली पुलिस ने हाल ही में बच्चों की किडनैपिंग करने वाले इस रैकेट का पर्दाफाश किया। चौंकाने वाली बात यह है कि इस किडनैपिंग रैकेट को तीन महिलाएं चला रही थीं। ये तीनों रेलवे स्टेशन पर भीड़-भाड़ वाली जगहों से बच्चों को किडनैप करतीं और बाद में उन्हें बेच देतीं। गैंग में फरीदाबाद की एक नर्स, पश्चिम बंगाल से आई एक महिला और दिल्ली में वकीलों के लिए काम करने वाली एक अकाउंटेंट शामिल थीं।

गैंग में इन तीनों महिलाओं के काम बंटे हुए थे। पहली महिला का काम था रेलवे स्टेशन से छोटे बच्चों को किडनैप करना। इसके बाद दूसरी महिला उन शादीशुदा जोड़ों की तलाश करती थी, जिन्हें किसी वजह से बच्चे नहीं होते थे। और तीसरी महिला का काम था ऐसे जाली कागजात तैयार करना, जिनके जरिए बच्चे को गोद लेने के नाम पर बेचा जा सके। ये तीनों पिछले दो साल से इस रैकेट को चला रहीं थीं। इन्होंने एक बच्चा यूपी के गाजियाबाद में बेचा और दूसरा दिल्ली के पहाड़गंज में। तीसरे बच्चे के लिए खरीदार ना मिलने की वजह से उसे छोड़ना पड़ा।

इस किडनैपिंग गैंग की ये तीनों सरगना हैं- आरती (उर्फ रजीना कोती), कांता भुजेल और निर्मला नेम्मी। आरती का पति सूरज सिंह भी इस धंधे में उसके साथ शामिल मिला। पुलिस ने इन सभी आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 137(2), 143 और 61(2) के तहत केस दर्ज किया है। अगर कोर्ट में ये दोषी पाए जाते हैं, तो इन्हें सात साल तक के लिए जेल की सलाखों के पीछे भेजा जा सकता है। साथ ही इनके ऊपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

रजीना से बनी आरती

आरती उर्फ रजीना कोती की कहानी शुरू होती है पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से। एचटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18 साल की उम्र में उसकी शादी हो गई और जल्द ही वो दो बच्चों की मां भी बन गई। पति उसके साथ मारपीट करता था, इसलिए साल 2017 में जब वह 35 साल की थी, तो घर छोड़कर भाग आई और फरीदाबाद में आकर बस गई। यहां उसकी मुलाकात 28 साल के मजदूर सूरज सिंह से हुई और उसी साल दोनों ने शादी कर ली। मंदिर में हुई इस शादी के बाद उसने अपना नाम रजीना कोती से बदलकर आरती रख लिया।

कैसे हुई तीनों की मुलाकात

साल 2023 में आरती फिर से गर्भवती हुई लेकिन आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि वह इस बच्चे को जन्म देने के बाद पाल सके। ऐसे में वह उसी इलाके की एक क्लिनिक में गई, जहां उसकी मुलाकात कांता भुजेल से हुई। कांता थी तो नर्स लेकिन खुद को डॉक्टर प्रिया बताती थी। उसे जब पता चला कि आरती अपने बच्चे को नहीं रखना चाहती, तो उसने उसे एक ऑफर दिया। उसने कहा कि वह अपने बच्चे को किसी बेऔलाद दंपति को बेच दे। इसी दौरान आरती को निर्मला मिली और उसने कहा कि अगर वो अपने बच्चे को किसी को गोद देना चाहती है, तो वह फर्जी कागजात तैयार करा देगी।

पहली किडनैपिंग

आखिर में तीनों ने फैसला लिया कि आरती की प्रेग्नेंसी को खत्म कर बच्चों के अपहरण का धंधा शुरू किया जाए। पहली किडनैपिंग 31 जुलाई 2023 को हुई। आरती ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर के पास सो रहे एक तीन साल के बच्चे को किडनैप कर लिया। उसने दो दिनों तक बच्चे को फरीदाबाद में अपने घर पर इस उम्मीद में रखा कि भुजेल को जल्दी ही उसका कोई खरीदार मिल जाएगा। जब खरीदार नहीं मिला तो आरती घबरा गई और उसे फरीदाबाद में एक टोल प्लाजा के पास छोड़ दिया। ये वही बच्चा था, जिसे फरीदाबाद पुलिस ने गुमशुदा मानकर, दिल्ली में उसके परिजनों को सौंपा था।

दूसरी किडनैपिंग

दूसरी किडनैपिंग 17 अक्टूबर 2024 को हुई। आरती स्टेशन पर वापस आई और अपनी मां के बगल में सो रहे एक ढाई साल के बच्चे को उठा लिया। उसने उसे ऑटो रिक्शा में बैठाया और फरीदाबाद स्थित अपने घर ले गई। निर्मला की मदद से, उसने और सूरज ने बच्चे के माता-पिता होने का नाटक किया और उसे गाजियाबाद के एक निसंतान जोड़े को सौंप दिया। बदले में दोनों को 1 लाख 20 हजार रुपये मिले, जिससे उन्होंने एक बाइक खरीदी और किराए सहित अपने कुछ मेडिकल बिल चुकाए।

तीसरी किडनैपिंग

21 जनवरी को आरती ने चार महीने की एक बच्ची को किडनैप कर लिया। इसके बाद भुजेल ने पहाड़गंज में एक बेऔलाद कपल तलाशा, जो बच्चा गोद लेना चाहता था। भुजेल ने इनसे कहा कि ये बच्ची एक कुंआरी लड़की की है, जो उसे नहीं रखना चाहती। पहाड़गंज के इस कपल ने बच्ची के बदले में उसे 30,000 रुपये दिए। इसमें से कुछ हिस्सा आरती को मिला। रैकेट के पकड़े जाने के बाद पुलिस ने इन दोनों बच्चों को बचाकर उनके परिजनों को सौंप दिया है।

कौन से बच्चे बिकते हैं, कौन से नहीं…

एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने बताया कि तीनों आरोपी महिलाएं कानून जानती थीं। उन्होंने पूरी प्लानिंग के तहत बच्चों की किडनैपिंग की और उन्हें बेचा। इन तीनों को पता था कि किस उम्र के बच्चे बिकते हैं, कौन से बच्चे नहीं बिकते और वारदात के बाद कैसे गायब हो जाना है। पुलिस ने बताया कि यह रैकेट गरीब परिवारों के ऐसे बच्चों को अपना निशाना बनाता था, जो अक्सर स्टेशनों पर सोते हुए पाए जाते थे।

दो और लोगों की तलाश

इन तीनों महिलाओं ने जाली दस्तावेज बनाए, नकली नामों का इस्तेमाल किया और ऐसे सस्ते फोन से बातचीत की, जिसे ये इस्तेमाल के बाद फेंक देते थे। मामले में दो बिचौलियों की भी पहचान की गई है और उनकी तलाश की जा रही है। वहीं, बच्चों को गोद लेने वाले जोड़ों ने किडनैपिंग के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है। हालांकि, पुलिस का कहना है कि वे उनके बयानों की जांच कर रहे हैं।

धर्मेंद्र कुमार

लेखक के बारे मेंधर्मेंद्र कुमारदिल्ली यूनिवर्सिटी साउथ कैंपस से 2010 में पत्रकारिता करने के बाद अमर उजाला डिजिटल से करियर की शुरुआत की। अमर उजाला में करीब साढ़े पांच साल की लंबी पारी के बाद हिंदी वनइंडिया में न्यूज डेस्क को लीड किया। इस समय नवभारत टाइम्स में क्राइम सेक्शन को संभाल रहा हूं। साथ ही राजनीतिक मुद्दों पर लिखने में भी दिलचस्पी है।… और पढ़ें

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