Swift Summary
- यज्ञदेवम, एक भारतीय क्रिप्टोग्राफर, ने दावा किया है कि उन्होंने सिंधु घाटी की लिपि को पढ़ने में सफलता हासिल की है।
- ऐतिहासिक रूप से अन्य प्राचीन लिपियों के द्विभाषी या त्रिभाषी शिलालेखों के माध्यम से अनुवाद किए गए थे; लेकिन सिंधु लिपि को अब तक कोई ज्ञात अनुवादक नहीं मिला था।
- राव ने सूचना सिद्धांत और क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करते हुए संस्कृत भाषा पर आधारित डिकोडिंग कार्य पूरा किया।
- उनकी विधि में आरोपित वैदिक संस्कृत विशेषता और संभावित व्याकरण शामिल थे जो अन्य एग्लूटिनेटिव भाषाओं के साथ मेल नहीं खाती थीं।
- निष्कर्ष बताते हैं कि संस्कृत लगभग 4000 ईसा पूर्व में प्रयुक्त होती थी, जिसका अर्थ है आर्य आक्रमण सिद्धांत का पुनर्मूल्यांकन हो सकता है।
Indian Opinion Analysis
यह खोज महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धारणाओं को चुनौती देती प्रतीत होती है। यदि यज्ञदेवम के निष्कर्ष स्वीकार किए जाते हैं, तो यह हिंदी-अंग्रेज़ी भाषीय विद्यार्थियों द्वारा समझे जाने वाले भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है। विशेष रूप से, यह आर्य आक्रमण सिद्धांत सहित कई सांस्कृतिक विभाजनों पर पुनर्विचार करने का अवसर प्रदान करती है। हालांकि यह दावा विशेषज्ञों द्वारा सत्यापित होना बाकी है, इसका भविष्य में इतिहास संबंधी शोध तथा अंतरराष्ट्रीय पुरातत्व परियोजनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
Read More
!Image of Indus Valley Civilization site with text ‘Sindhu Samriddhi Ke Pranprashna’